यहाँ अब तक नहीं पहुंचा नल से जल ! 500 साल पुराने गांव में हाथ से मिट्टी खोदकर पानी पीने को मजबूर ग्रामीण…

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धनबाद: 500 साल पुराने गांव में आज भी लोग मिट्टी खोदकर पानी पीने को विवश है। पानी की समस्या का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गांव के लोग दिन ही नहीं, रात में भी जागकर पानी इकट्ठा करते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं कतरास क्षेत्र के धर्माबांध के नीचे देवघरा बस्ती की। इस गांव में पानी की काफी किल्लत है। दिन ही नहीं रात में भी जागकर महिलाएं, पुरुष और बच्चे चुआं (एक तरह से पानी भरे छोटे गड्ढे) से पानी ढोने का काम करते हैं। हर मौसम में यही हाल रहता है। पीने का पानी के लिए बस्ती की महिलाएं, पुरुष, बच्चे तीन किलोमीटर दूर जंगल-झाड़ियों के बीच से रास्ता बनाते हुए ऊंची-नीची पगडंडियों को पार कर एक बहते हुए नाले के पास पहुंचते हैं। फिर यहां बने दो चुआं से बर्तन में एक-एक कर पीने का पानी निकालते हैं।

ग्रामीणों की इस समस्या के निदान के लिए न तो प्रशासन और न ही पंचायत स्तर से कोई पहल हुई है। नीचे देवघरा बस्ती की कजरी, बेला, देवंती एवं राजेंद्र बेसरा ने बताया कि यह गांव लगभग 500 साल पुराना है। जब से गांव बसा, तब से इस गांव के लोग यहीं से पानी भरते आ रहे हैं। गांव की कुल आबादी लगभग ढाई हजार है। गांव में वोटरों की कुल संख्या लगभग 1800 है। आधी आबादी इसी चुआं पर निर्भर है।

स्थानीय मीडिया टीम जब देवघरा बस्ती पहुंची तो लोगों ने वो जगह दिखाई, जहां से हर दिन पानी निकालकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। यहां चिकनी मिट्टी होने के कारण फिसलन बहुत अधिक है। गांव की महिलाएं बहुत मुश्किल से पानी निकालने का काम करती हैं।

चुआं की गहराई लगभग चार फीट और चौड़ाई एक से डेढ़ फीट है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां पानी का स्तर काफी ऊपर है। कुछ फीट चुआं खोदने पर पानी स्वयं रिसने लगता है। पानी का कमी नहीं है, लेकिन पानी लेने के लिए उचित व्यवस्था और साधन नहीं है।

महिलाओं ने बताया कि सक्षम लोगों ने अपने घर में पीने का पानी की व्यवस्था कर ली है। हम जैसे गरीबों का कोई नहीं है। कजरी देवी व अन्य महिलाओं ने बताया कि बरसात में बहुत दिक्कत होती है। ओलावृष्टि होने पर तो पानी भरने के रास्ते में छिपने की भी जगह नहीं मिलती।

आठ फीट ऊंचा बना दिया कुआं, कैसे निकाले पानी

15 वर्ष पहले स्थानीय जनप्रतिनिधि ने अपने फंड से आठ फीट ऊंचा और इतना ही चौड़े कुएं का निर्माण कराया। अब आठ फीट ऊंचे कुएं में गहराई कितनी है, इसका तो पता नहीं, लेकिन यदि कोई पानी भरना चाहे तो आठ फीट ऊंचे कुएं से पानी खींचना मुश्किल है। पहले कुएं की दीवार में सीढ़ी लगाकर कुएं पर खड़ा होना होगा। इसके बाद बमुश्किल पानी निकलेगा। इसके बगल में खोदे गए एक अन्य कुआं दलदल का रूप ले चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि ने गांव में डीप बोरिंग करा दी है, लेकिन उसका पानी अच्छा नहीं है।

बरसात में गिरने का खतरा

दसवीं का परीक्षा पास कर चुकी लक्ष्मी कुमारी ने बताया कि खराब रास्तों के कारण कभी-कभी फिसल कर गिर जाते हैं। सिर पर रखा पानी से भरा बर्तन भी गिर जाता है। इसकी वजह से बर्तन भी पिचक जाता है। धर्माबांध पंचायत के मुखिया पुत्र अनूप रवानी ने कहा कि समस्या की जानकारी हुई है। मुखिया का फंड बहुत ही कम होता है। उतने फंड में काम चलाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जिला परिषद की बैठक में बस्ती से चुआं तक सड़क निर्माण कराने एवं चुआं के बगल में ही डीप बोरिंग कराकर पाइपलाइन से बस्ती तक इस पानी को पहुंचाने का मांग रखी जाएगी।

By दैनिक जागरण via Dailyhunt 

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