लखनऊ: प्रदेश में उच्च शिक्षा के साथ-साथ बेसिक-माध्यमिक स्तर पर भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसी क्रम में शासन ने प्रदेश में कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम आयु छह वर्ष तय कर दी है। इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है। इस सत्र 2023-24 में इसे लेकर थोड़ी राहत दी गई है लेकिन अगले साल से इसे लेकर सख्ती की जाएगी। शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि कक्षा एक में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह साल तय की जाती है। वर्तमान में जिन छात्रों का कक्षा एक में प्रवेश हुआ है और उनकी आयु पांच से छह साल के बीच है, उन्हें कक्षा एक में पढ़ाई की अनुमति दी जाएगी। इस आदेश के जारी होने के बाद होने वाले नामांकन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कक्षा एक में उन्हीं बच्चों का नामांकन हो जो 31 जुलाई तक छह वर्ष की उम्र पूरी कर रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि वर्तमान में प्री-स्कूल (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) में पढ़ रहे ऐसे बच्चे जो कक्षा एक में दाखिले के समय छह साल से कम आयु के होंगे, उन्हें भी कक्षा एक में प्रवेश दिया जाएगा, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। लेकिन, अगले साल से प्री-स्कूल में विद्यालयों के लिए यह व्यवस्था बाध्यकारी होगी। उन्हें इस तरह न्यूनतम उम्र का निर्धारण करना होगा कि कोई भी बच्चा छह साल से कम उम्र में कक्षा एक में प्रवेश न ले सके। यही व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए भी लागू होगी।
इनको भी मिलेगी राहत
अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि ऐसे बच्चे जो संबंधित शैक्षिक सत्र (जिसकी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है) में एक अप्रैल से 31 जुलाई के बीच छह साल की उम्र पूरी कर रहे हैं, लेकिन सत्र के प्रांरभ में अप्रैल में प्रवेश दिया जा सकेगा। उन्हें इस बीच छह वर्ष पूरा करने वाली अवधि में शिथिलता दी जाएगी। वजह, नए सत्र में प्रवेश प्रक्रिया एक अप्रैल से ही शुरू हो जाती है।
महानिदेशक ने सभी बीएसए को किया पत्र जारी
इस संबंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी बीएसए को पत्र जारी कर इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है। बता दें कि नए सत्र 2023-24 में कक्षा एक में प्रवेश नामांकन एक अप्रैल से शुरू हो गया है। यही वजह है कि नए सत्र में इस आदेश को बाध्यकारी नहीं किया गया है।