रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ मंदिर एशिया में समुद्रतल से सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवालय है। पंच केदार में गिने जाने वाला तृतीय तुंगनाथ मंदिर 5 से 6 डिग्री तक झुक गया है जबकि मंदिर के अंदर बनी मूर्तियों और सभामंडप में 10 डिग्री तक झुकाव आ गया है। इस बारे में श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने एएसआई को पत्र भेजा है।
इसमें मंदिर का संपूर्ण अध्ययन कर यथाशीघ्र संरक्षण करने को कहा गया है।मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी का कहना है कि वर्ष 1991 में आए भूकंप और समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर पर व्यापक असर पड़ा है। वर्ष 2017-18 में एएसआई ने मंदिर का सर्वेक्षण करने के लिए ग्लास स्केल भी लगाईं थी। अब विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर मंदिर में झुकाव आने की बात कही है।
वर्ष 1991 के उत्तरकाशी भूकंप और 1999 के चमोली भूकंप के साथ ही 2012 की ऊखीमठ व 2013 की केदारनाथ आपदा का भी इस मंदिर पर असर पड़ा है। मंदिर की बाहर की दीवारों से कई जगहों पर पत्थर छिटके हुए हैं। सभामंडप की स्थिति काफी खराब हो गई है। साथ ही गर्भगृह का एक हिस्सा झुक गया है।
तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण व संवर्धन के लिए मंदिर समिति सक्षम है। मंदिर के पुनरोद्धार को लेकर जो भी कार्य होंगे, वह एएसआई व सीबीआरआई और अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों की सलाह पर किए जाएंगे।
– अजेंद्र अजय, अध्यक्ष श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति
तुंगनाथ मंदिर 12800 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है। लंबे समय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की कवायद चल रही है। पुरातत्व विभाग के प्रभारी अधिकारी देवराज सिंह रौतेला ने बताया कि प्राचीन मंदिर तुंगनाथ को राष्ट्रीय महत्व स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने 27 मार्च, 2023 को अधिसूचना जारी की है।
तुंगनाथ मंदिर को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, वह पूरी तरह से निराधार हैं। पूर्व में कोई सर्वे हुआ था, जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। मंदिर के संरक्षण, संवर्धन और राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर जो भी जरूरी कार्य होंगे, वह किए जाएंगे।
– मनोज कुमार सक्सेना, पुरातत्वविद् अधीक्षण, देहरादून सर्किल