हरिद्वारः उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निर्माणों को हटाने की कार्रवाई जोर शोर से चल रही है. यह कार्रवाई सिर्फ मजारों पर नहीं की जा रही है बल्कि, मंदिरों पर भी कार्रवाई की जा रही है. जो अवैध रूप से सरकारी और वन भूमि पर बनाए गए हैं. इसी कड़ी में हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के मंदिर गौरीकुंड और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित एक अन्य मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस भेजा है. जिसमें मंदिर से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है. अन्यथा मंदिर को अतिक्रमण मान लिया जाएगा. वहीं, वन विभाग से नोटिस मिलने पर संत समाज में खासी नाराजगी देखी जा रही है.
प्रसिद्ध पुजारी शुभम गिरि का कहना है कि हरिद्वार एक धार्मिक नगरी है. जिसका वर्णन पौराणिक हिंदू धार्मिक पुस्तकों में भी है. हरिद्वार के कई स्थान जिसमें हर की पैड़ी, दक्ष प्रजापति मंदिर, सती कुंड अन्य मंदिर हैं. जिसमें गौरीकुंड मंदिर भी शामिल है. वहीं, गौरीकुंड को लेकर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कागज दिखाते हुए कहा कि उक्त संपत्ति से जुड़ा रजिस्ट्री उनके पास है. साल 1912 का नक्शा भी उनके साथ है. जिसमें बिल्केश्वर मंदिर समेत गौरीकुंड का भी नक्शा बना हुआ है.
वहीं, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रबोधानंद महाराज का कहना है कि उत्तराखंड एक देवभूमि है, जहां देवता वास करते हैं. अगर उनके स्थान पर मंदिर होने के सबूत मांगे जाएंगे तो यह निंदनीय है. जिसे संत समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा. साथ ही युवा भारत साधु समाज के रविदेव शास्त्री ने कहा कि जिस मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस दिया है, वो प्राचीन काल से है. जिसका वर्णन पुरातन हिंदू पुराणों में भी है. अगर उस पर कार्रवाई की जाती है तो युवा भारत साधु समाज के संत मंदिरों के संरक्षण को आगे आएंगे.
उधर, मंदिर पर नोटिस मिलने पर हरिद्वार विधायक मदन कौशिक का कहना है कि पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग से जमीन को लीज पर लिया गया है. जिसकी समयावधि को बढ़ाए जाने पर वो खुद शासन से वार्ता करेंगे और जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा. वहीं, हाल ही में डीएम का पदभार संभाले धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा कि अतिक्रमण पर कार्रवाई दोबारा शुरू की जाएगी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जो भी बाहरी व्यक्ति हरिद्वार में जमीन लेगा, उसका वेरिफिकेशन करने के बाद ही रजिस्ट्री की जाएगी.