नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में एक बेहद महत्वपूर्ण बिल पेश करने जा रही है, जो रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (महापंजीयक) को राष्ट्रीय स्तर पर जन्म तथा मृत्यु के पंजीयन का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाए रखने की इजाजत देगा। इस डेटा का इस्तेमाल वोटर लिस्ट, जनसंख्या रजिस्टर, आधार, पासपोर्ट, राशन कार्ड आदि को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि 18 वर्ष का होने पर खुद ब खुद ‘मतदाता परिचय पत्र’ बन जाएगा और लोगों को इसके लिए निर्वाचन कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, साथ ही इससे फर्जी वोटिंग रोकने में भी मदद मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार (22 मई) को कहा कि यह कदम देश में विकास को सुव्यवस्थित करेगा। अमित शाह ने यह भी कहा कि अगली जनगणना इलेक्ट्रॉनिक रूप में होगी, जो विकास योजनाओं को समाज के प्रत्येक वर्ग तक ले जाने के लिए अहम साबित होगी। उन्होंने दिल्ली में जनगणना भवन या जनगणना भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि, ‘हम जन्म, मृत्यु और जनगणना से जुड़े डेटा के साथ विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए संसद में एक बिल लाने जा रहे हैं। भारत के महापंजीयक भी जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के अधिकारी होंगे।’
अमित शाह ने आगे कहा कि इस बदलाव से निर्वाचन आयोग एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के ऑफिस और डेटा बेस से जुड़ा होगा और जब कभी किसी वोटर की मौत होगी, उसकी सूचना स्वत: साफ्टवेयर के जरिए निर्वाचन आयोग तक पहुंच जाएगी। आयोग मतदाता की मृत्यु की सूचना के फ़ौरन बाद उसके नाम को वोटर लिस्ट से काटने की उचित प्रक्रिया अपनाएगा। शाह ने कहा कि ठीक इसी प्रकार किसी की उम्र 18 साल होते ही वोटर लिस्ट में उसका नाम नए मतदाता के रूप में स्वत: शामिल कर लिया जाएगा और उसका वोटर कार्ड बन जाएगा।