देहरादून: Graphic Era Hill University में आज बेहद प्रतिभावान नन्हें-मुन्नों ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए हाथों-हाथ Climate Change को दर्शाने वाली कई घड़ियाँ तैयार कर सभी को हैरत में डाल दिया.Chief Guest सुबोध उनियाल ने इस मौके पर कहा कि Climate Change आज सिर्फ भारत या उत्तराखंड का मसला न हो के ग्लोबल हो चुका है.Graphic Era Group of Institutions के Chairman डॉ कमल घनशाला ने कहा कि जल्दी सचेत न हुए तो आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज इंसान के सामने सबसे बड़ा खतरा होगा.
वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध ने कहा कि देश में धरती का तापमान उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बढ़ा है। उत्तराखंड में यह तापमान 1.17 डिग्री बढ़ गया है। हालांकि उत्तराखंड में 72 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है.उन्होंने स्कूली बच्चों के हाथों तैयार क्लाइमेट क्लॉक का लोकापर्ण भी किया।
देहरादून के 49 स्कूलों के बच्चों ने डिजीटल क्लाइमेट क्लॉक असेम्बल कुशलता के साथ कर दिखाया। नन्हें नन्हें हाथों ने तकनीकों के महारथी- सोलर मैन ऑफ इंडिया के रूप में विख्यात IIT बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी के निर्देशन में इस जटिल लगने वाले काम को कुछ ही घंटों में अंजाम तक पहुंचा के 49 खूबसूरत क्लाइमेंट क्लॉक तैयार कर ली। सुबोध ने कहा कि क्लामेट चेंज को रोकने के लिए हर किसी को और हर स्तर पर प्रयास करने चाहिएं। इस लड़ाई को लड़ने के लिए वन सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्लेशियर का पिघलना, भू स्खलन, साइक्लोन, वनों का कटान, भूजल का स्तर गिरना, जंगलों की आग आदि क्लामेट चेंज के नतीजे हैं। इस सबको रोकना है, तो समाज का वनों के साथ मजबूत रिश्ता बनाना होगा। छात्र-छात्राओं को पर्यावरण, वनों और मानवता को बचाने में योगदान देने के लिए प्रेरित करना होगा. उन्होंने ग्रीन एम्पलाइमेंट और ग्रीन इकनौमी पर भी जोर दिया। ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने कहा कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिग दुनिया और इंसानियत के सामने किसी भी सबसे बड़े खतरे से बड़े हैं.इस भावी चुनौती का सामना तभी किया जा सकेगा, जब इसको ले के गंभीर होंगे.अहम और जरूरी कदम उठाए जाएंगे.समाज खुद पर्यावरण और पारिस्थितिकी को ले के जागरूक होगा.
आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन ने कहा कि परिस्थितियां और खराब न हों, इसके लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादन करना होगा. अपनी जरूरतों को कम करना होगा। उन्होंने ऊर्जा के उपयोग के लिए एक फार्मूला दिया- एवाइड, मिनिमाइज एंड जनरेट यानि एनर्जी के उपयोग को एवाइड करें.ऐसा न हो पाने पर उसे मिनिमाइज कर दें और खुद उत्पाद करें।
समारोह में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ संजय जसोला ने स्वागत भाषण किया। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह ने आभार व्यक्त किया। उच्च शिक्षा सलाहकार प्रो के डी पुरोहित और कई पदाधिकारियों व शिक्षकों ने भी समारोह में शिरकत की। एनर्जी स्वराज फाउंडेशन और स्विच ऑन फाउंडेशन के साथ ग्राफिक एरा ने यह आयोजन किया l