देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट करने का काम करीब- करीब पूरा हो चुका है. सीएम धामी के मुताबिक यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए गठित कमेटी 30 जून तक ड्राफ्ट तैयार कर लेगी. उसके बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा. वहीं समिति भी 30 जून तक ड्राफ्ट तैयार कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपने की तैयारी कर रही है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट फाइनल करने से पहले जस्टिस रंजना देसाई वाली पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने राजधानी देहरादून 24 मई को विभिन्न वर्गों के सुझाव लिए जिसमे साढ़े तीन सौ लोगों ने अपने विचार साझा किए और 25 मई को UCC कमेटी ने राजनीतिक दलों के साथ बैठक की जिसमे प्रदेश के मुख्य राजनीतिक दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने शिरकत नहीं की लेकिन जानकारी के मुताबिक अन्य दलों ने AIIM, सपा ने अपने विचार कमेटी के सामने रखे।
आप और कांग्रेस का साफ तौर पर यही कहना है की सिर्फ उत्तराखंड मे ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश मे ये कानून लागू होना चाहिए और उन्होने शिरकत इसलिए नहीं की क्योंकि उनकी पार्टी के द्वारा कमेटी से अध्यन्न के लिए कमेटी से मसौदा मांगा गया था जो की नहीं दिया गया विपक्ष का आरोप है की प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव मे वोट बटोरने के लिए UCC कानून को लेकर उत्सुक है। लेकिन जानकारों का ये भी कहना है की अगर विपक्ष को प्रदेश मे UCC से कोई दिक्कत है तो कमेटी के सामने जाकर अपनी बात रखनी चाहिए थी। आपको बता दें की यूसीसी समिति गठन के बाद से ही समिति पूरे प्रदेश में 30 से अधिक बैठकों में समाज अलग-अलग वर्गों से चर्चा कर चुकी है। UCC ड्राफ्ट को लेकर कमेटी का कहना है की जल्द से जल्द ड्राफ्ट तैयार कर लिया जाएगा। पूरे मामले पर बीजेपी का कहना है की पार्टी प्रदेश मे UCC लागू करने के पक्ष मे है इससे सभी धर्मों के अनुयाइयों को समान अधिकार मिलेगा…वहीं बीजेपी का कहना है की AAP और कांग्रेस ने UCC की बैठक मे न आकार ये साबित कर दिया है की दोनों ही पार्टियां तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं।
आपको बता दें की यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के लागू होने के बाद सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानून खत्म हो जाएंगे। अभी हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन और पारसी समुदाय के अलग-अलग धार्मिक कानून हैं। हिंदू लॉ ही बुद्ध, जैन और सिख धर्मों के अनुयायियों पर भी लागू होता है। वसीयत और शादी जैसे विषयों पर इन कानूनों को मानना ही होता है। कहा ये भी जा रहा है की समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा। लेकिन AAP और कांग्रेस का इस कानून को लेकर आगे क्या रणनीति तय करती है देखने वाली बात होगी क्योंकि UCC की बैठक मे न जाकर दोनों ही पार्टियों ने ये साफ कर दिया है की उत्तराखंड मे दोनों ही दल इस कानून के समर्थन मे नहीं हैं। और देखने वाली बात ये भी होगी की ये कानून उत्तराखंड मे कब तक लागू होता है।