CM धामी ने किया वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के साथ संवाद, CM ने किया हर जिले में वृद्धाश्रम खोलने और  छात्रवृत्ति में आय सीमा समाप्त करने का ऐलान

खबर उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को मुख्य सेवक संवाद में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के साथ संवाद किया. इस दौरान सीएम ने दिव्यांग शादी अनुदान और राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना का सॉफ्टवेयर लॉच किया. साथ ही समाज कल्याण विभाग की तमाम योजनाओं के तहत दिए जा रहे पेंशन की 5वीं किश्त भी जारी की.

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों को संबोधित करते हुए सीएम ने घोषणा किया कि दिव्यांग छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति में आय सीमा को समाप्त किया जाएगा, साथ ही प्रदेश के हर जिले में एक एक वृद्धाश्रम खोला जाएगा.

दिव्यांग से विवाह करने पर मिलेगी धनराशि: इसके साथ ही सीएम धामी ने घोषणा की कि दिव्यांग युवक-युवती से विवाह करने पर प्रोत्साहन अनुदान धनराशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की जाएगी. वहीं दिव्यांग छात्र वृत्ति योजना के तहत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के दिव्यांग छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति हेतु आय सीमा को समाप्त किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक वृद्धाश्रम की व्यवस्था की जायेगी. सीएम धामी ने वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांगजनों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबके आशीर्वाद से ही उन्हें राज्य के मुख्य सेवक के रूप में कार्य करने की ऊर्जा मिलती है.

योजनाओं का लाभ ग्राउंड पर आम आदमी को मिले: सीएम ने कहा कि इस संवाद के पीछे भी उनका यही उद्देश्य है कि वो सबकी समस्याओं, आवश्यकताओं को सीधे तौर पर जान सकें, जिससे उनके समाधान के लिए और अधिक ठोस कदम उठाए जा सकें. कई बार सरकार के स्तर पर नीतियां और योजनाएं तो बन जाती हैं, लेकिन उन योजनाओं का वास्तविक लाभ तभी मिल पाता है, जब वे जमीनी स्तर तक पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से पहुंचें. साथ ही लाभार्थी भी ये महसूस करें कि सरकार ने उनकी ज़िंदगी को आसान और बेहतर बनाने का कार्य किया है.

सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तिकरण के निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं. प्रधानमंत्री ने ही सर्वप्रथम विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द को अपनाकर दिव्यांगजनों में आत्मसम्मान का संचार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया.

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दिव्यांग सशक्तिकरण अधिनियम 2016, सुगम्य भारत अभियान, एडीआईपी योजना, दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना, दिव्यांगजन स्वालम्बन योजना और दिव्यांगजन छात्रवृत्ति एवं पेंशन योजना जैसी अनेकों योजनाओं के जरिए दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं.

96 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को मिल रहा पेंशन का लाभ: उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में 96 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को पेंशन प्रदान की जा रही है, जहां एक ओर 18 वर्ष से अधिक आयु के 86 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को 1500 रुपए की मासिक पेंशन प्रदान की जा रही है. वहीं 18 वर्ष से कम आयु के 8 हज़ार से अधिक दिव्यांग बच्चों के भरण-पोषण एवं देखभाल के लिए हर महीने 700 रुपए की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है.

इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य के दौरान दिव्यांग हुए लोगों को तीलू रौतेली पेंशन योजना के तहत हर महीने 1200 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के साथ ही 4 फुट से कम ऊंचाई वाले व्यक्तियों को बौना पेंशन के जरिए हर महीने 1200 रुपए भी दिए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत दिव्यांग व्यक्ति से विवाह करने पर 25 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही है. आज इस योजना से जुड़े सॉफ्टवेयर के लोकार्पण से योजना का लाभ पारदर्शिता के साथ पात्र लाभार्थियों को मिल सकेगा.

प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र का शुभारंभ: सीएम ने कहा कि एक दिन पहले ही देहरादून में प्रधानमंत्री दिव्याशा केंद्र का शुभारंभ किया गया है, जहां दिव्यांगजनों विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों को अर्ली इंटरवेंशन (Early Intervention) की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. सरकार आने वाले समय में ऐसे दिव्याशा केंद्र राज्य के सभी जिलों में खोलने का प्रयास कर रही है. आज इस योजना के तहत राज्य के करीब 6 लाख वृद्धजनों को डीबीटी के माध्यम से पेंशन की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है. इसके साथ ही सरकार राज्य के सभी जिलों में वृद्धाश्रमों की व्यवस्था भी सुदृढ़ कर रही है.

सीएम ने बताया कि वर्तमान में बागेश्वर, चमोली और उत्तरकाशी में राजकीय वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं, जबकि देहरादून, अल्मोड़ा और चम्पावत में नए भवन निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल सहित तमाम क्षेत्रों में गैर-सरकारी संगठनों की ओर से संचालित वृद्धाश्रम भी कार्यरत हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने बदलते समय के साथ रिश्तों में आई चुनौतियों को देखते हुए वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम लागू किया है. इसके जरिए हमारे बुजुर्गों को यह कानूनी अधिकार प्राप्त हो जाता है कि वे अपने बच्चों या कानूनी उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण की मांग कर सकें. उन्होंने वरिष्ठजनों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि आपका ये बेटा कभी आपके सम्मान, सुरक्षा और सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देगा.

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