10 दिन वेंटिलेटर पर जिंदगी से लड़ता रहा तीन माह का मासूम, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

खबर उत्तराखंड

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज बाल रोग विभाग के डॉक्टर्स ने 20 दिनों के गहन उपचार के बाद मासूम की जान बचाई.

श्रीनगर गढ़वाल: गैरसैण-भराड़ीसैंण के चौरड़ा गांव से तीन माह का मासूम गंभीर सेप्सिस और बहुअंग विफलता (मल्टिपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम) जैसी जानलेवा स्थिति से जूझ रहा था. बच्चे को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल श्रीनगर लाया गया. जहां उसकी स्थिति गंभीर थी. बच्चे की पल्स नहीं मिल रही थी. हार्ट सामान्य रूप से काम नहीं कर रहा था. सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी. बच्चे की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया. लगातार 10 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखकर उसकी जान बचाने की कोशिश की. लगभग 20 दिनों के गहन उपचार के बाद मासूम पूरी तरह स्वस्थ हो गया है. अब बच्चा सामान्य रूप से मां का दूध पी रहा है.

बेस अस्पताल में आए गैरसैण निवासी हरि सिंह नेगी और देवकी देवी, जिनके तीन बेटियों के बाद यह पहला बेटा हुआ था, बच्चे की हालत से बेहद चिंतित थे, लेकिन बेस अस्पताल श्रीनगर की टीम ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए इलाज शुरू किया. माता-पिता ने बच्चे के सकुशल स्वस्थ होने पर डॉक्टरों का धन्यवाद किया. परिजनों ने कहा-

हमारा बच्चा फिर से जी उठा है. बेस अस्पताल की टीम ने जो किया, वह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं. हम प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का भी आभार व्यक्त करते हैं. जिन्होंने अस्पताल में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं.

पूरे उपचार में बाल रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं एचओडी डॉ. सीएम. शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंकिता गिरी, पीजी जेआर डॉ. पवन तिवारी, डॉ. ज्ञान प्रकाश, साथ ही वार्ड की स्टाफ नर्स पुष्पा यादव, बीना, स्वाति, नीतू आदि ने लगातार देखभाल की. टीम के समर्पण और मेहनत ने बच्चे को मृत्यु के मुंह से निकालकर नया जीवन दिया. बच्चे का इलाज पूरी तरह निःशुल्क किया गया.

बच्चा बेस अस्पताल पहुंचने के समय अत्यंत गंभीर स्थिति में था. मल्टिपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम में अंग तेजी से काम करना बंद करने लगते हैं. ऐसे मामलों में हर मिनट महत्वपूर्ण होता है. हमारी टीम ने तुरंत वेंटिलेशन सपोर्ट, दवाओं और मॉनिटरिंग के साथ उपचार शुरू किया. 10 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट और 20 दिन की गहन चिकित्सा के बाद बच्चे की स्थिति सामान्य हो गई. यह हमारे पूरे विभाग के सामूहिक प्रयास का परिणाम है.

सीएम शर्मा, एचओडी बाल रोग विभाग बेस अस्पताल

वहीं, राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य आशुतोष सयाना ने कहा मासूम बच्चे को नई जिंदगी देने में हमारी बाल रोग विशेषज्ञ टीम ने जिस समर्पण, संवेदनशीलता और प्रोफेशनल दक्षता का परिचय दिया है. वह बेस अस्पताल श्रीनगर के लिए गर्व की बात है. उन्होंने डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के बधाई दी है.

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