धामी सरकार के तीन साल का हिसाब-किताब, फैसलों से लेकर उतार – चढ़ाव तक, जानिए सब कुछ

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार बीजेपी की दूसरी सरकार में बतौर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 23 मार्च 2025 को अपने कार्यालय के तीन साल पूरे कर लिए हैं. इन तीन सालों में सरकार का सफर किस तरह का रहा, धामी सरकार के नाम क्या-क्या उपलब्धियां रही और किन मामलों में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. साथ ही किन मामलों में सरकार की किरकिरी हुई. आज इन तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

बता दें कि साल 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जीती थी. इस चुनाव में पुष्कर सिंह धामी सीएम होते हुए भी खटीमा से हार गए थे. फिर भी बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा जाता और उन्हें दूसरी बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. 23 मार्च 2022 को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के अंदर सीएम धामी ने चंपावत सीट से चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीते.

अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बीते तीन सालों से कार्यालय की बात कर रहते है. व्यक्तिगत रूप से CM धामी की छवि अपने आप में बेहद सौम्य और विवादों से परे रही है. हालांकि धामी सरकार के फैसलों को लेकर जरूर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं है.

उत्तराखंड की सबसे बड़ी चुनौती में दिया बेस्ट: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में प्रकृति जिनती राहत देती है, उतनी ही बेरहम भी है. इसका उदाहरण हर साल मानसून के सीजन में आपदाओं के रूप में देखने को मिलता है. उत्तराखंड में हर साल बड़ी आपदाएं आती है. इन आपदाओं में शासन-प्रशासन से लेकर सरकार तक का ढीला रवैया और अधिकारियों की लापरवाही हमेशा सवालों के घेरे में रही है.

वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी के कार्यालय में ऐसा शायद ही कोई मामला सामने आया हो, जहां आपदाओं में सिस्टम पर लापरवाही के आरोप लगे हो. क्योंकि जब भी उत्तराखंड किसी आपदा में फंसा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद मोर्चा संभाला और ग्राउंड पर जाकर पूरे सिस्टम पर नजर रखी, जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आए.

सीएम धामी की हर जगह हुई तारीफ

बीते तीन सालों की कुछ आपदाओं का जिक्र किया जाए तो, जिसमें धामी सरकार ने न सिर्फ बेहतर काम किया, बल्कि विपक्ष को भी निशाना साधने का मौका नहीं दिया. जोशीमठ भू-धसाव, सिल्क्यारा टनल हादसा और केदारनाथ आपदा समेत अन्य दैवीय आपदा में भी सीएम पुष्कर सिंह धामी के काम की तारीफ हुई.

नेशनल और इंटरनेशनल कार्यक्रमों का आयोजन: सीएम धामी के बीते तीन सालों से कार्यालय में कुछ ऐसे आयोजन हुए है, जिनसे सीएम धामी पूरे देश की नजर में आए. इन आयोजन में 26 से 28 जून 2023 को हुई G20 की बैठक है. G20 की इन बैठकों का आयोजन ऋषिकेश, नरेंद्र नगर और रामनगर में हुआ था. इन बैठकों में कई देशों के प्रतिनिधि आए थे, जो उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से रूबरू हुए थे.

उत्तराखंड में करोड़ों रुपए का निवेश लाए

इसके बाद दिसंबर 2023 में उत्तराखंड में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम का उद्घाटन खुद पीएम मोदी ने किया था. बताया जा जाता है कि इस इन्वेस्टर समिट से उत्तराखंड में कई सौं करोड़ रुपए के निवेश आया है, जिससे प्रदेश की आर्थिकी मजबूती मिली है. राज्य में रोजगार ने नए-नए साधन खुले. कुल मिलाकर कहा जाए तो सीएम धामी ने प्रदेश को आर्थिक मोर्चे पर भी मजबूत करने का काम किया है.

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन: उत्तराखंड गठन के 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती वर्ष मनाया गया. इसी मौके पर उत्तराखंड में 38वें नेशनल गेम्स की मेजबानी मिली. इस आयोजन की न सिर्फ बाहरी राज्यों से आने वाले खिलाड़ियों ने तारीफ की, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी सीएम धामी व उनकी टीम की पीठ थपथपा कर गए थे.

बता दें कि 38वें नेशनल गेम्स के शुभारंभ में पीएम मोदी आए थे, तो वहीं क्लोजिंग सेरेमनी में गृह मंत्री अमित शाह. उत्तराखंड भी 38वें नेशनल गेम्स में सातवें स्थान पर रहा था. 38वें नेशनल गेम्स का सफल आयोजन कराकर धामी सरकार ने एक बार फिर से पीएम मोदी का भरोसा जीता था.

नकल विरोधी कानून: बेरोजगार युवाओं के हित में सरकार को किरकिरी से बचाने के धामी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए, जिसमें एक नकल विरोधी कानून का है. धामी सरकार ने नकल विरोधी लागू कर न सिर्फ भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का नाम किया. साथ ही ऐसे लोगों को चेतावनी भी दी, जो नकल या फिर पेपर लीक कराकर युवाओं का भविष्य बर्बाद करने में लगे हुए थे. इसके अलावा धामी सरकारी ने इस खेल में लिप्त कई लोगों को सलाखों के पीछे भी पहुंचाया. सीएम धामी के नकल विरोधी कानून का कई राज्यों ने भी अध्ययन किया है.

यूसीसी कानून से पूरे देश में छाए सीएम धामी

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर सीएम धामी पूरे देश में छा गए. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश का पहला राज्य है. केंद्र में बैठी बीजेपी जो काम सालों ने करने का सोच रही थी, उसे सीएम धामी ने उत्तराखंड में कर के दिखा दिया. यूसीसी की वजह से सीएम धामी की पीएम मोदी समेत केंद्रीय हाईकमान की नजर में एक अलग ही छवि बनी.

भू-कानून में भी किए बदलाव

उत्तराखंड में सख्त भू-कानून ने जोर पकड़ा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उस पर संज्ञान लिया और बजट सत्र में भू-कानून का संशोधन बिल लाकर उसे और सख्त बनाया. साथ ही उत्तराखंड में गैर कानूनी तरीके से भूमि खरीदने वालों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

इसके अलावा हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में बाहरी राज्यों के लोगों पर कृषि और बागवानी की जमीन खरीदने पर बैन लगाया है. हालांकि धामी सरकार के भू-कानून को जानकार उतना सख्त नहीं मानते है, जितने की मांग की जा रही थी.

इन मामलों में बैकफुट पर नजर आई धामी सरकार: एक तरह जहां उपलब्धियों की बात हो गई तो वहीं, कुछ ऐसे मामले भी थे, जिन्हें धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी. पहले मामले की बात करें तो भर्ती घोटाले को लेकर पूरे प्रदेश में युवाओं को अंदर जो आक्रोश पनपा था, उसने धामी सरकार की थोड़ी मुश्किलें जरूर बढ़ाई थी. यही कारण था कि आखिर में धामी सरकार को नकल विरोधी कानून लाना पड़ा था.

अंकिता हत्याकांड

पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थित एक रिसोर्ट में काम करने वाली 22 साल की अंकिता भंडारी की हत्या की गई थी. ये रिजॉर्ट तत्कालीन बीजेपी नेता के बेटा का था. इस मामले में तत्कालीन बीजेपी नेता के बेटा समेत रिजॉर्ट का मैनेजर समेत तीनों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल भी जेल में ही बंद है. इस मामले में अभी कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नहीं आया है.

अंकिता हत्याकांड से न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देश के कई राज्यों में बीजेपी सरकार की किरकिरी हुई थी. उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए गए थे. कही न कही इस मामले में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था.

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण

दिल्ली में केदारनाथ के नाम से मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था. मंदिर की आधारशिला रखने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए थे. चारधाम के तीर्थ-पुरोहित समेत कांग्रेस ने भी दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनने का विरोध किया. लोगों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार को बड़ा फैसला लेना पड़ा और आदेश पारित कराया गया, जिसमें साफ किया गया कि यदि किसी ने भी उत्तराखंड के चार धाम के नाम से किसी मंदिर का निर्माण किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

प्रेमचंद अग्रवाल का विवादित बयान

हाल ही में बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान ने भी बीजेपी सरकार की जमकर फजीहत कराई. पहले जहां बीजेपी के तमाम नेता प्रेमचंद अग्रवाल को बचाव करते नजर आए तो वहीं आखिर में बीजेपी को बैकफुट पर आना और प्रेमचंद अग्रवाल को अपना इस्तीफा देना पड़ा. प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ. कांग्रेस ने अब इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा है. कुछ मिलाकर कहा जाए तो इस मामले में धामी सरकार और बीजेपी संगठन सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाया.

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