उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग 7 दिन पहले धंसी थी. इसमें 7 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इनके रेस्क्यू के लिए पिछले 7 दिन से युद्धस्तर पर काम चल रहा है. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है. ऐसे में विज्ञान और भगवान दोनों का सहारा लिया जा रहा है. क्रेन की मदद से पुजारी ने सुरंग के मुहाने पर झंडा लगाया और नारियल फोड़ा.
रेस्क्यू के 7वें दिन सुरंग के बाहर एक मंदिर स्थापित किया जा रहा है. एक तरफ मशीनों को अंदर ले जाया जा रहा है तो दूसरी तरफ जिस तरफ मंदिर स्थापित है. सुरंग के मुहाने पर मंदिर की स्थापना हो रही है. पूजा-अर्चना की जा रही है. दरअसल, इस हादसे के बाद ग्रामीणों का मानना है कि सुरंग ढहने के पीछे स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का प्रकोप है. ग्रामीणों ने कहा कि बाबा बौखनाग के क्रोध के कारण सुरंग धसक गई, क्योंकि उनका मंदिर निर्माण कार्य के चलते ध्वस्त कर दिया गया था.
#WATCH | Uttarakhand: Uttarkashi tunnel rescue operation | A temple has been built at the main entrance of the tunnel to pray for the stranded victims pic.twitter.com/avPwTeJQ4z
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 18, 2023
स्थानीय लोगों ने कहा कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का काम चल रहा था. इसी में सुरंग बनाई गई थी, जिसका एक हिस्सा ढह गया था. निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़ दिया था, इसी के कुछ दिनों बाद सुरंग ढहने से 41 मजदूर फंस गए. बता दें कि बचाव अभियान में इस्तेमाल लाई जा रही अमेरिकी ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई थी. इसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन को भी शुक्रवार को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था. बताया गया कि मशीन आगे नहीं बढ़ पा रही है. मशीन का बेयरिंग खराब हो रहा है. ऐसे में अब एंकर लगाकर मशीन को प्लेटफॉर्म पर लगाया जा रहा है. शुक्रवार तक मशीन सिर्फ 24 मीटर तक ही ड्रिल करके पाइप डाल पाई थी.
इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट ने जताई चिंता
इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट प्रो. अर्नोल्ड डिक्स ने आजतक को बताया कि वे रेस्क्यू पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, अगर अगले घंटों के भीतर बचाव कार्य प्रभावी नहीं हुआ तो वह सभी सदस्य देशों की ओर से सहायता प्रदान करने के लिए भारत आएंगे. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सुरंग निर्माण करने वाले देशों में अग्रणी देश है. हम भारत को हर सहायता प्रदान कर रहे हैं. यह बेहद गंभीर मामला है. 41 जिंदगियां खतरे में हैं.
रेस्क्यू के लिए ये 3 योजनाएं बनाई गई हैं
- पहाड़ों की चोटी से सुरंग में 100 फीट तक की वर्टिकल ड्रिल की जाएगी. लेकिन उस जगह की परिस्थितियों के कारण ऑपरेशन पूरा होने में एक सप्ताह लग सकता है.
- इसके अलावा परंपरागत तरीके से हाथ से खोदकर सुरंग बनाई जा सकती है. जिसका उपयोग ज्यादातर जलविद्युत परियोजनाओं और सुरंग बनाने में किया जाता है.
- टूटी हुई चट्टान को फिर से मजबूत चट्टान में बदलने के लिए हाई टेक्नोलॉजी के तरीकों का उपयोग करने पर भी विचार किया जा रहा है.