बेंगलुरु: बेंगलुरु: राम मंदिर के उद्घाटन में 20 दिन रह गए हैं, लेकिन खुशी और त्योहार के इस मौके से पहले रंग में भंग पड़ना शुरू हो गया है, क्योंकि कर्नाटक में पुलिस ने 3 दशक पुराना राम मंदिर आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का केस फिर से खोल दिया है और आरोपियों की गिरफ्तारी भी शुरू कर दी है। दरअसल, 30 साल पहले 1992 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राम जन्मभूमि रथ यात्रा आंदोलन शुरू किया था। उस दौरान देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। कर्नाटक में भी काफी हिंसा हुई थी। लाल कृष्ण आडवाणी पर भी दंगे भड़काने के आरोप लगे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें बचा लिया था। इस एक्शन के बाद अब बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सरकार कारसेवक को जानबूझकर परेशान कर रही है. इसलिए बीजेपी कल यानी की 3 जनवरी को बेंगलुरु में इस गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करेगी.
कर्नाटक BJP के कई सीनियर नेताओं पर नजर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक पुलिस भाजपा के उन नेताओं पर भी नजर रखे हुए है, जिनके खिलाफ दर्ज केस कर्नाटक में भाजपा सरकार के राज में हटा दिए गए थे। वहीं कर्नाटक पुलिस की इस कार्रवाई और निर्देशों के खिलाफ हिंदू संगठनों में आक्रोश है। उन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन में जानबूझ कर खलल डालने का आरोप लगाया है। मामले में कार्रवाई करते हुए कर्नाटक की हुबली पुलिस ने 5 दिसंबर 1992 को एक दुकान में आग लगाने वाले श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार कर लिया है। पुजारी तीसरा आरोपी है। पुलिस को अब अन्य 8 आरोपियों की तलाश है, जिसके लिए स्पेशल टीमें गठित कर दी गई हैं।
300 से अधिक लोग नामजद, कार्रवाई की तैयारी
न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार, हुबली पुलिस ने करीब 300 आरोपियों की सूची बनाई है, जो 1992 से 1996 के बीच राम मंदिर को लेकर हुई हिंसा औ सांप्रदायिक झड़पों में शामिल थे। राम मंदिर को लेकर चले आंदोलन में देशभर में हिंसक घटनाएं हुई थीं। अकेले कर्नाटक में कई जगह हिंसा हुई थी। इस दौरान एक अल्पसंख्यक की दुकान जला दी गई थी, जिसकी शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। करीब 300 लोगों को नामजद किया गया था, जिनकी उम्र आज 70 पार हो चुकी है। इनमें से कुछ लोग शहर के बाहर जाकर बस गए हैं। कई आरोपी बड़े पदों पर कार्यरत हैं, जिनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर्नाटक पुलिस कर रही है।