देहरादून: प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों और विद्यालयों में शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के मामले सामने आते रहे हैं। जिसे देखते हुए सरकार इनमें भर्ती की प्रक्रिया को बदलने जा रही है। स्कूल और महाविद्यालय प्रबंधन के बजाए भर्ती अब राज्य लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से कराई जा सकती है।
अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता के लिए सरकार की ओर से शिक्षा सचिव रविनाथ रामन की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा समिति गठित की गई है। इसमें अपर सचिव उच्च शिक्षा, अपर सचिव कार्मिक व अपर सचिव न्याय को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। जबकि उप सचिव राज्य लोक सेवा आयोग और विशेष आमंत्रित सदस्य निदेशक माध्यमिक और उच्च शिक्षा शामिल हैं।
कुछ बदलावों पर भी विचार
कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि यह समिति माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर भी निर्णय लेगी। जो यह तय करेगी कि शिक्षकों की भर्ती के लिए अलग से आयोग बनाया जाए या फिर राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती की जाए। इसके अलावा समिति भर्ती में पारदर्शिता के लिए अन्य कुछ बदलावों पर भी विचार कर सकती है।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि समिति की पूर्व में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि 21 अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए यदि अलग से आयोग बनाया गया तो इस पर अधिक खर्च आएगा। राज्य में पहले से राज्य लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग है।
महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से कराई जा सकती है। जबकि माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक एलटी के पदों पर भर्ती उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एवं प्रवक्ताओं के पदों पर भर्ती राज्य लोक सेवा आयोग से कराई जा सकती है।
वर्तमान में यह है व्यवस्था
प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में वर्तमान में शिक्षकों की भर्ती प्रबंधन की ओर से भर्ती की जाती है। हालांकि इसमें विभाग के भी कुछ लोग शामिल रहते हैं।