अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत 7 दिन और बढ़ाने की सुप्रीम कोर्ट में दी अर्जी, मेडिकल जांच का दिया हवाला

राज्यों से खबर

दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में CM केजरीवाल ने अपनी अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग की है. आम आदमी पार्टी के मुताबिक सीएम केजरीवाल को अभी PET-CT स्कैन के साथ ही कई दूसरे टेस्ट से गुजरना है. इसलिए उन्होंने जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से 7 दिन का समय मांगा है.

बता दें कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई थी. उन्हें 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने अंतरिम जमानत का आदेश पारित करते हुए कहा था कि ‘लोकसभा चुनाव इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटना है.’

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा था करोड़ों मतदाता अगले 5 साल के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे. आम चुनाव लोकतंत्र को जीवन शक्ति प्रदान करते हैं. इसके महत्व को देखते हुए अभियोजन पक्ष की के उस तर्क को खारिज किया जाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जमानत देने से राजनेताओं को इस देश के सामान्य नागरिकों की तुलना में लाभकारी स्थिति में होने का फायदा मिलेगा.

21 मार्च से जेल में थे केजरीवाल

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले ईडी ने उन्हें मामले में पूछताछ के लिए 9 समन जारी किए थे. हालांकि, केजरीवाल किसी भी समन पर पेश नहीं हुए थे. केंद्रीय जांच एजेंसी का आरोप है कि वह घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता थे और सीधे तौर पर शराब कारोबारियों से रिश्वत मांगने में शामिल थे. इन आरोपों को खारिज करने वाली AAP कहती रही है कि दिल्ली में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा और मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे.

SC ने ED से पूछे थे ये 6 सवाल

  1. आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों?
  2. क्या न्यायिक कार्यवाही के बिना यहां जो कुछ हुआ है उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं?
  3. इस मामले में अब तक कुर्की की कोई कार्यवाही नहीं हुई है. यदि हुई है तो दिखाएं कि मामले में केजरीवाल कैसे शामिल हैं?
  4. जहां तक मनीष सिसोदिया मामले की बात है तो इसमें पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं. हमें बताएं कि केजरीवाल मामला कहां है? उनका मानना है कि धारा 19 की सीमा, जो अभियोजन पर जिम्मेदारी डालती है, न कि आरोपी पर. इस प्रकार नियमित जमानत की मांग नहीं होती. क्योंकि वे धारा 45 का सामना कर रहे हैं. जिम्मेदारी उन पर आ गई है.
  5. अब ईडी बताए कि हम इसकी व्याख्या कैसे करें? क्या हम सीमा को बहुत ऊंचा बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि जो व्यक्ति दोषी है उसका पता लगाने के लिए मानक समान हों.
  6. कार्यवाही शुरू होने और फिर गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई के बीच का इतने समय का अंतराल क्यों?
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *