विधानसभा बैकडोर भर्ती: बर्खास्त कर्मचारियों ने किया जोरदार प्रदर्शन, लगाया ये इल्जाम, रखी ये मांग…

खबर उत्तराखंड

देहरादून: आज विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे और जोरदार प्रदर्शन किया. बर्खास्त कर्मचारी केवल एक ही बिंदु को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोशित हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केवल 2016 के बाद वाले कर्मचारियों पर ही कार्रवाई क्यों की गई. अगर कार्रवाई करनी है तो पहले की नियुक्तियों पर भी की जाए.

सोमवार को विधानसभा के बाहर विधानसभा में 2016 से 22 तक की तदर्थ नियुक्तियों के बाद बर्खास्त होने वाले 228 कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान कर्मचारियों ने उनके साथ भेदभाव और एकतरफा कार्रवाई को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज की. वहीं इस दौरान विधानसभा से बर्खास्त सभी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करते नजर आए. कर्मचारियों की मांग है कि राज्य गठन के बाद से लेकर लगातार एक ही प्रक्रिया के तहत तदर्थ नियुक्तियां की जा रही हैं और साथ ही साथ उन्हें नियमित भी किया जा रहा है.

लेकिन वर्ष 2016 के बाद हुई तदर्थ नियुक्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष का कार्रवाई करना कहीं ना कहीं पक्षपात दिखाता है. विधानसभा से बर्खास्त हुए इन कर्मचारियों का कहना है कि 2016 से पूर्व हुई तदर्थ नियुक्तियों को लेकर भी उसी तरह से फैसला होना चाहिए जिस तरह से उनके साथ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2016 से पहले हुई नियुक्तियों में कई नेताओं द्वारा लगाए गए लोगों को बचाया जा रहा है और यह अधूरा न्याय है.

बता दें कि विधानसभा में 2016 से 2021 तक हुई विधानसभा बैकडोर भर्तियों के चलते 228 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था. प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाई कि विधानसभा गठन के बाद से अभी तक हुई सभी भर्तियों की जांच की जाए. बर्खास्त कर्मियों ने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने पिता भुवन चंद्र खंडूरी के कार्यकाल में हुई भर्तियों को बचाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने 2016 के बाद की भर्तियों को निरस्त किया है.

वहीं विधानसभा से बर्खास्त हुई महिला कर्मियों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. ऐसे में अब अपना घर कैसे चलाएंगी. उनके सामने विकराल समस्या खड़ी हो गई है. दरअसल, हाल ही में विधानसभा बैकडोर भर्तियों को लेकर 228 पदों को निरस्त कर दिया गया था. जिसके बाद नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों ने आज धरना देते हुए प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया.

 

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