देहरादून (उत्तराखंड): युवाओं को विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर फंसाने वाले गिरोह ने उत्तराखंड में भी दस्तक दी है. राज्य के कई युवाओं को थाईलैंड और म्यांमार ले जाकर उन्हें साइबर अपराध में धकेलने की कोशिशें हुई हैं. बड़ी बात ये है कि दर्जनों युवाओ के विदेशों में इसी तरह फंसे होने की बात कही जा रही है. ऐसे में अब उत्तराखंड पुलिस इन मामलों की तह तक जाने के लिए NIA (National Investigation Agency) की मदद चाहती है.
विदेश में फंसे लोगों का मामला एनआईए को सौंपा जा सकता है
कुछ महीने पहले थाईलैंड और म्यांमार में अनेक युवाओं के फंसे होने की खबर सामने आई तो उत्तराखंड में हड़कंप मच गया. इसके लिए पुलिस ने प्रयास करने शुरू किये, लेकिन मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर का होने के कारण पुलिस मामले में असहाय सी दिखाई दी. हालांकि इसके बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार से इस पर उचित कदम उठाए जाने की पैरवी की. उधर अब उत्तराखंड पुलिस इस मामले में NIA (National Investigation Agency) की मदद चाहती है. जिसके लिए बाकायदा एक प्रस्ताव शासन को भेजा भी जा चुका है.
इन देशों में फंसे हैं उत्तराखंड के लोग
पिछले दिनों गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड, म्यांमार और लाओस) में कई भारतीय युवाओं के फंसे होने की खबरें आई थी. इसमें उत्तराखंड के भी बड़ी संख्या में युवाओं के इन्हीं देश में फंसे होने की बात कही गई. बताया गया कि नौकरी दिलाने के नाम पर किसी गिरोह ने युवाओं को इन देशों में भेजा और फिर वहां इनसे साइबर अपराध करने के लिए कहा गया. इन युवाओं पर साइबर अपराध करने का दबाव बनाकर इन्हें अपराध में धकेलने की कोशिश की गई. मामले का खुलासा तब हुआ जब इनमें से कुछ युवा भारत वापस आने में कामयाब रहे और उनके द्वारा तमाम एजेंसियों को इसकी जानकारी दी गई.
पुलिस मुख्यालय ने भेजा शासन को प्रस्ताव
खास बात यह है कि उत्तराखंड के भी 24 युवाओं के इसी तरह म्यांमार में फंसे होने की बात सामने आई थी. जिसके बाद सरकार भी हरकत में दिखाई दी थी. इस मामले में भारत सरकार से भी उत्तराखंड सरकार ने बातचीत की थी. उत्तराखंड पुलिस ने भी इन युवाओं को विदेश भेजने वाले सिंडिकेट को तोड़ने का दावा किया था. लेकिन अब पुलिस मुख्यालय इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की मदद चाहता है, जिसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है.
अभी ये फॉर्मेलिटी होनी है पूरी
हालांकि अभी इस प्रस्ताव पर शासन की मोहर लगनी बाकी है. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी अंतिम अनुमोदन लिया जाएगा. इसके अलावा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से भी इस पर उनकी राय ली जाएगी. इसके बाद उत्तराखंड के युवाओं के विदेश में फंसे होने के इस पूरे मामले को एनआईए को देने पर अंतिम निर्णय होगा. इसी के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ा पाएगी.