देहरादून: भारतीय वायु सेना के बाद अब प्रादेशिक सेना ने भी प्रदेश सरकार से इको टास्क फोर्स के 146 करोड़ रुपये के बकाये की मांग की है। यह पिछले 10 साल की बकायेदारी है, जिसका अभी भुगतान नहीं हो पाया है। प्रादेशिक सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजू बैजल ने इस संबंध में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को पत्र लिखा है।
राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में इकोलॉजी टास्क फोर्स चार कंपनियां तैनात हैं। इन चार कंपनियों पर सालाना 21 करोड़ रुपये का खर्च आता है। जून माह तक सरकार पर 146.16 करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है। पत्र में प्रदेश सरकार से चरणबद्ध पुनर्भुगतान की योजना बनाने का अनुरोध किया गया है। पत्र में मौजूदा 8.22 करोड़ रुपये से 21 करोड़ रुपये प्रति वर्ष औसत पुनर्भुगतान करने, प्रतिवर्ष औसत प्रतिपूर्ति बढ़ाने का सुझाव दिया गया।
बता दें कि भारतीय वायु सेना भी राज्य गठन से अब तक प्राकृतिक आपदाओं में हेलिकॉप्टरों की मदद के एवज में लंबित बकाये की मांग कर चुकी है। राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए वायु सेना की बकाया राशि 213 करोड़ भी काफी बड़ी मानी जा रही है। प्रादेशिक सेना की देनदारी को जोड़ दें तो यह राशि और बड़ी हो जाती है। यही कारण है कि लंबित राशि के बारे में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र सरकार से छूट की मांग की जाएगी। शासन स्तर पर भी बकाया राशि को लेकर अभी विमर्श चल रहा है।
भारतीय वायु सेना की धनराशि के बारे में संबंधित विभागों से बिलों का परीक्षण करने के लिए कहा गया है। इको टास्क फोर्स की देनदारी का मामला भी संज्ञान में आया है। वन विभाग इसका परीक्षण करेगा।
– दिलीप जावलकर, सचिव वित्त