देहरादून: राजपुर रोड के श्री शिव बाल योगी आश्रम में बिहारी महासभा द्वारा मकर संक्रांति के उपलक्ष में खिचड़ी दही चूड़ा का आयोजन किया गया । आयोजन में सभा के सभी सदस्यों एवं पदाधिकारी ने एक साथ मिलकर पारंपरिक तौर पर खिचड़ी दही चूड़ा का प्रसाद खाया ।
बताते चले कि महासभा पिछले 17 वर्षों से यह कार्यक्रम करते आ रही है । महासभा के कैलेंडर में मकर संक्रांति का भी कार्यक्रम किया जाता है। जो प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है ।पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सभा के सदस्यों ने आगामी सरस्वती पूजा की रूपरेखा रखी एवं सरस्वती पूजा के संबंध में बैठक की ।बैठक के बाद सभी पदाधिकारी एवं संगठन के सदस्यों ने मिलकर खिचड़ी का भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण किया ।
सभा को संबोधित करते हुए बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि आयुर्वेद में चावल को चंद्रमा के रूप में माना गया है. काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है.हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है.नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है. हरी सब्जियां बुध से संबंध होती है खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य के संबंध को मजबूत बनता है इस प्रकार खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं. ऐसी परंपरा है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से शरीर पूरा साल आरोग्य रहता है और इस दिन पिले भोजन का ग्रहण करना शुभ माना गया है.।
कार्यक्रम में सभा के सचिव चंदन कुमार झा ने सभा के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि खिचड़ी हमारे भारत का राष्ट्रीय भोजन भी है और मकर संक्रांति ये उत्सव भारत मे हर राज्य मैं अलग अलग रूप में मानते है. जिसे खिचड़ी खाने का महत्व मकर संक्रांति के दिन अधिक माना गया है.खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है.सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा देने वाला भोजन माना गया है.वैदिक परंपरा के अनुसार इस दिन खिचड़ी खाने से सुख-समृद्धि आती है.।
वक्ताओं ने कहा कि मकर संक्रांति का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के निवास स्थान पर जाते हैं, क्योंकि शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. इस प्रकार, यह पर्व पिता और पुत्र के अद्वितीय मिलन का प्रतीक भी है. एक अन्य कथा के अनुसार, मकर संक्रांति असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के रूप में भी मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का नाश किया और उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत में स्थापित किया. इस प्रकार, भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई ।
बिहारी महासभा के खिचड़ी कार्यक्रम में महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह ,सचिव चंदन कुमार झा ,कोषाध्यक्ष रितेश कुमार, पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ,प्रचार प्रमुख विनय कुमार यादव, सुरेश ठाकुर धर्मेंद्र ठाकुर, गणेश साहनी ,सभा के कार्यकारिणी सदस्य आलोक सिंह , ओमकार त्रिपाठी ,अमरेंद्र कुमार ,हरिश्चंद्र झा ,उमेश राय रामबरन यादव ,मृत्युंजय विश्वास, सहित सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।