देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड के मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का 24 घंटे का धरना किया. शाम को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा के साथ में उत्तराखंड के स्थानीय उत्पाद काले भट्ट को तवे पर भून कर उसका स्वाद चखा. साथ ही गडेरी को भी आग में भूनकर लोगों ने खाया. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अंकिता भंडारी हत्याकांड की हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी ने सीबीआई की जांच की मांग कर रहे हैं. साथ ही वीआईपी के नाम का खुलासा करने की मांग की है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि सरकार को बताना चाहिए कि आखिर वह वीआईपी कौन था जिसके लिए अंकिता पर दबाव बनाया जा रहा था.
साभार – हर खबर
हरीश रावत ने विभिन्न संगठनों से इस धरने में शामिल होने की अपील की थी. बताया जा रहा है कि सीपीआई, सीपीएम और अन्य संगठनों से जुड़े लोग भी हरीश रावत के धरने में पहुंचे. हरीश रावत के मुताबिक किसी पर अविश्वास का सवाल नहीं है. उत्तराखंड के भविष्य को बचाना है तो अंकिता को न्याय मिलना चाहिए. हरीश रावत ने ये भी कहा कि वीआईपी का नाम सामने आना चाहिए. वीआईपी की खोज होनी चाहिए.
तीन मंत्रियों ने हरीश पर बोला हमला
हरीश रावत ने धरना दिया तो धामी सरकार के तीन मंत्रियों ने उन पर हमला बोल दिया। सुबोध उनियाल ने कहा कि हरीश रावत के पास कोई काम नहीं है। समय काटने के लिए उन्हें कुछ न कुछ करना है। धरना देना हरीश की राजनीति का हिस्सा बन चुका है। चंदन रामदास ने कहा कि हरीश रावत न्यायालय प्रक्रिया को बाधा पहुंचाने के लिए छोटी-छोटी बातों को लेकर सड़क और चौराहों पर बैठ रहे हैं। रावत को देश व प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। रेखा आर्य ने भी कहा कि हरीश रावत बयान देते हैं, धरने पर बैठते हैं, लेकिन चुनाव कभी नहीं जीतते। उनके धरना प्रदर्शन मीडिया में रहने का एक माध्यम है।