नई दिल्ली : भारत के कई हिस्सों में पिछले दो महीनों में लंबी बीमारी और लंबे समय तक खांसी के साथ इन्फ्लूएंजा के मामलें तेजी से बढ़ रह है. दो साल तक कोविड महामारी से जूझने के बाद, मामलों में वृद्धि ने आम जनता के बीच एक डर पैदा कर दिया है. इस वायरस का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों में देखा जा रहा है. साथ ही 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जिनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है या फिर वो डायबिटीज, अस्थमा या हृदय रोग के शिकार होते हैं. उन्हें इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा होता है. बता दें इस वायरस का पता अलग अलग लैब टेस्ट के जरिए से पता चलता है. डॉक्टर आपके बलगम की जांच या कोई अन्य जांच के लिए कहे, जिसके बाद वायरस के संक्रमण का पता लगाया जा सके.
फ्लू के मामलों में वृद्धि, केंद्र ने जारी की एडवाइजरी
- पूरे भारत में बुखार और फ्लू के केस तेजी से बढ़ रहे है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि यह इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 वायरस के कारण होता है.
- H3N2 वायरस अन्य उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है. जानकारों का कहना है कि पिछले दो-तीन महीनों से यह पूरे भारत में व्यापक रूप से प्रचलन में है.
- लक्षणों में आमतौर पर बुखार के साथ लगातार खांसी शामिल होती है.हाल के मामलों में, बहुत सारे रोगी लंबे समय तक लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं.
- एक मीडिया हाउस से बातचीत में डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कहा कि संक्रमण ठीक होने में समय ले रहा है. लक्षण मजबूत हैं. रोगी के ठीक होने के बाद भी लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं.
- विशेषज्ञों का कहना है कि H3N2 वायरस अन्य इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है.
- क्लीनिकल ट्रायल विशेषज्ञ डॉ. अनीता रमेश का कहना है कि इन्फ्लूएंजा का नया स्ट्रेन जानलेवा नहीं है. डॉ. रमेश ने बताया कि यह जानलेवा नहीं है. लेकिन कुछ मरीज़ों को सांस की समस्या के कारण भर्ती होना पड़ा. कुछ लक्षण कोविड जैसे ही हैं,सभी मरीज़ों का टेस्ट निगेटिव आया है.
- ICMR ने लोगों को वायरस को अनुबंधित करने से बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी सुझाई है.
- दूसरी ओर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने देश भर में खांसी, जुकाम और मतली के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के खिलाफ सलाह दी है.
- एसोसिएशन ने डॉक्टरों से केवल बीमारी से जुड़ी दवा उपचार में लिखने को कहा है न कि एंटीबायोटिक्स.
- चिकित्सा निकाय ने एक बयान में कहा, “हमने पहले ही कोविड के दौरान एज़िथ्रोमाइसिन और इवरमेक्टिन का व्यापक उपयोग देखा है और इससे भी प्रतिरोध हुआ है. एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले यह पता लगाना आवश्यक है कि संक्रमण जीवाणु है या नहीं.”