8 नवंबर 2016 को हुआ था नोटबंदी का ऐलान, कुल 33 लोगों की गई थी जान ! पढ़िये और क्या-क्या हुआ था नुकसान ?

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से 6 साल पहले 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे देश में नोटबंदी की घोषणा की थी. उस घोषणा के बाद देश में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए. देश के बाजार में मौजूद 86% करंसी कागज का टुकड़ा साबित हो गई. इस घोषणा ने देश में बहुत कुछ बदल दिया था. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की रिपोर्ट में नोटबंदी के कारण भारत में कारोबार को 61 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंकों को 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इतना ही नहीं, अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई थी. इतना ही नहीं, नई करंसी को छापने के लिए 17 हजार करोड़ रुपये का खर्च बताया गया. इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा था जिसे रिकवर होने में कई साल लग गए. सरकार ने नोटबंदी के फायदे गिनाए तो विपक्ष ने इसकी खामियां बताईं.आज नोटबंदी के 6 साल पूरे हो गए हैं, जानिए उस घोषणा के बाद देश को कितना नुकसान हुआ…

नोटबंदी के कारण 33 लोगों ने दम तोड़ा

नोटबंदी की घोषणा के बाद 33 लोगों ने दम तोड़ा था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी की घोषणा के बाद कुछ ने सदमे के कारण दम तोड़ा तो कुछ की बैंकों के बाहर लगी लाइन में ही मौत हो गई थी. पश्चिम बंगाल में सुसाइड के मामले भी सामने आए थे. देश के कई हिस्सों में ATM के बाहर भीड़ बेकाबू हो गई थी. इनमें मौत के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से थे. इस घोषणा ने देश के अलग-अलग हिस्से में कई तरह से असर छोड़ा जिसके कारण मौते हुईं.

4 महीने में 15 लाख नौकरियां गईं

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद नोटबंदी के बाद अगले 4 महीनों में 15 लोगों की नौकरी चली गई. रिपोर्ट में कहा गया कि अगर एक चार आश्रित लोगों पर एक इंसान कमाई करने वाला है तो 60 लाख से अधिक लोगों के मुंह से रोटी का निवाला छिन गया. CMIE का कन्ज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे कहता है, नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच देश में नौकरियों की संख्या घटकर 40 करोड़ 50 लाख रह गईं जबकि सितंबर से दिसंबर 2016 के बीच नौकरियों की संख्या 40 करोड़ 65 लाख थीं. यानी 15 लाख भारतीयों के पास से रोजगार छिन गया.

कैशलेस इकोनॉमी: 76% लोगों को नकद लेनदेन पसंद

नोटबंदी के समय कैशलेस इकोनॉमी का दावा किया गया था. वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रिसर्च एजेंसी लोकल सर्कल का सर्वे कहता है, 76 फीसदी भारतीयों को नकद लेन-देन पसंद है. ये लोग नकदी का इस्तेमाल सामान खरीदने, बाहर जाने, घरों की मरम्मत और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट को खरीदने में करते हैं.

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