उत्तराखंड में UCC बस एक कदम दूर, राज्यपाल से मिली मंजूरी, राष्ट्रपति को भेजा गया

खबर उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था. जिस पर अब राज्यपाल गुरमीत सिंह ने इस विधेयक को विधायी विभाग के माध्यम से राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू को भेज दिया है. ऐसे में अब उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू होने से मात्र एक कदम दूर है. राष्ट्रपति मुर्मू की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में यह कानून लागू हो जाएगा.

उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के साथ ही धामी सरकार अन्य राज्यों के लिए एक नजीर पेश करेगी. बीते दिनों विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान धामी सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखकर पास करवाया था. उत्तराखंड पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रपति इस कानून को हरी झंडी दे देंगी. जिसके बाद इसे उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा. वहीं, बीजेपी उत्तराखंड के साथ-साथ देश के तमाम राज्यों में इस बिल का प्रचार प्रसार कर माहौल अपने पक्ष में करने का काम करेगी.

समान नागरिक संहिता के अहम प्रावधान-

  • यूसीसी के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करावाया तो सरकारी सुविधाओं से वंचित भी होना पड़ सकता है.
  • पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.
  • सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित किया गया है.
  • अगर शादीशुदा दंपत्ति में से कोई एक बिना दूसरे की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उससे तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा.
  • पति और पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के दौरान 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी मां के पास ही रहेगी.
  • सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने का अधिकार समान देने का प्रावधान है.
  • मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक रहेगी.
  • सभी धर्म और समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा.
  • संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा. जबकि, इन नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान में गिना जाएगा.
  • किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार दिया गया है. उसके माता और पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा. किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को भी संरक्षित किया गया है.
  • लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन कराने वाले कपल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता और पिता या अभिभावक को देनी होगी.
  • इसके अलावा लिव इन रिलेशन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ठहराया जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे.

बता दें कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू करने की बात कही थी. सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला लिया गया. यूसीसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट यानी उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई. समिति ने जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन किया. जिसके बाद यूसीसी के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया. वहीं, 6 फरवरी को विधानसभा में समान नागरिक संहिता को पास कर दिया गया.

क्या है समान नागरिक संहिता?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का सीधा अर्थ, हर व्यक्ति के लिए एक समान कानून है. चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, सभी पर एक समान कानून लागू होगा. इस कानून के तहत शादी, तलाक और जमीन जायदाद आदि के बंटवारे के मामले में सभी धर्मों के लोगों के एक ही तरह का कानून लागू होगा. समान नागरिक संहिता एक तरह का निष्पक्ष कानून होगा, जिसका किसी धर्म या जाति या फिर वर्ग से कोई ताल्लुक नहीं होगा.

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