पीने के पानी से गाड़ी धोई और कंस्ट्रक्शन में किया इस्तेमाल… यहाँ 22 लोगों पर FIR, 1.10 लाख का जुर्माना

क्राइम राज्यों से खबर

बेंगलुरु : भारत का सिलिकॉन वैली बेंगलुरु इस समय भयावह जल संकट से गुजर रहा है. राज्य के 240 में से 223 तहसील सूखा घोषित कर दिए गए हैं. जल संकट इस कदर है कि पीने के पानी के अन्य इस्तेमाल पर लगे बैन के बाद से अब तक 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जबकि एक लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है.

बेंगलुरु वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने मार्च के दूसरे हफ्ते में शहर में पीने के पानी का इस्तेमाल वाहन धोने, बागवानी, कंस्ट्रक्शन और अन्य काम के लिए करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. बोर्ड के चेयरमैन राम प्रशांत मनोहर का कहना है कि हमें अधिकतर शिकायतें दक्षिण-पूर्व इलाके से मिल रही थी. हमने पानी का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए जनता से अपील की है साथ ही चेतावनी भी जारी की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीने के पानी का अन्य कामों के लिए इस्तेमाल करने पर बेंगलुरु के 22 परिवारों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस तरह से अब तक कुल 1.1 लाख रुपये का जुर्माना इकट्ठा किया गया है.

बेंगलुरु में रोजाना पचास करोड़ लीटर पानी की किल्लत

पिछले हफ्ते प्रशासन ने होली के मद्देनजर कुछ नियम लगाए थे. बोर्ड ने कमर्शियल और मनोरंजन केंद्रों को होली के लिए पूल पार्टियों के आयोजन के लिए कावेरी नदी या बोरवेल के पानी का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इससे पहले कहा था कि  बेंगलुरु में जल संकट लगातार बढ़ रहा है.  बेंगलुरु को प्रतिदिन लगभग पचास करोड़ लीटर पानी की किल्लत झेल रहा है. शहर को प्रतिदिन 147 करोड़ लीटर पानी कावेरी नदी जबकि 65 करोड़ लीटर पानी बोरवेल से मिलता है.

बेंगलुरु में टैंकर माफियाओं का बोलबाला

हाल ही में इंडिया टुडे की पड़ताल में पता चला था कि बेंगलुरु में अवैध तरीक से बोरवेल से पानी निकालने से लेकर मुनाफाखोरी की योजनाओं तक में अंडरग्राउंड नेटवर्क पानी निकालने में लगा है. 1.4 करोड़ की आबादी वाले बेंगलुरु में वॉलमार्ट, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां हैं लेकिन बेंगलुरु कमजोर मॉनसून, लगातार घट रहे भूजल, जलाशय और अत्यधिक शहरीकरण की मार झेल रहा.

बेंगलुरु में पीने के पानी की लगातार हो रही कमी के बीच इंडिया टुडे की पड़ताल में यहां वाटर टैंकर माफियाओं का पता चला है, जो बिना सरकारी रजिस्ट्रेशन के कानून की धज्जियां उड़ाते हुए धड़ल्ले से पानी बेच रहे हैं.

चार दशकों का सबसे बड़ा जल संकट

कर्नाटक में बीते चालीस सालों का सबसे बड़ा जल संकट देखने को मिल रहा है. हाल ही में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा था कि पिछले 30 से 40 सालों में हमने इस तरह का सूखा नहीं देखा है. हालांकि, यहां सूखे पहले भी आए हैं. लेकिन हमने इतने बड़े पैमाने पर तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया है.

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