देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने में वन विभाग के पसीने छूट रहे हैं. उत्तराखंड में वनाग्नि के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं. वनाग्नि पर काबू पाने के लिए प्रशासन और वन विभाग की तैयारियां और दावे धरातल पर फेल नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि अब खुद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं पर बैठक की और जंगलों में आग लगाने वालों को जेल में डालने के निर्देश दिए.
Uttarakhand | Chief Secretary Radha Raturi held a meeting in view of the forest fire in the state. He instructed all the DMs & SP to put those who set fire to the forests in jail. pic.twitter.com/exjfAeT77z
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 24, 2024
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी व एसपी को जंगलों में आग लगाने वालों को जेल में डालने का निर्देश दिए हैं. इसके अलावा मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अधिकारियों से मिले इनपुट से पता चला है कि आग लगने की ज्यादातर घटनाएं मानव निर्मित हैं और कई जगहों पर असामाजिक तत्व भी जंगलों में आग लगाने में सक्रिय हैं.
वहीं डीजीपी अभिनव कुमार की तरफ से भी कहा गया है कि आग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जो लोग आग पर काबू पाने या बुझाने के लिए आगे आ रहे हैं, उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
Uttarakhand | Chief Secretary Radha Raturi held a meeting in view of the forest fire in the state. He instructed all the DMs & SP to put those who set fire to the forests in jail. pic.twitter.com/exjfAeT77z
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उत्तराखंड में वनाग्नि की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा रहा कि 22 अप्रैल को राज्य के अंदर जंगलों में आग लगने के रिकॉर्ड 52 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें 14 घटनाएं गढ़वाल और 35 घटनाएं कुमाऊं मंडल में दर्ज की गई हैं. उत्तराखंड वन विभाग के अनुसार इन 52 घटनाओं में करीब 76.65 हेक्टेयर जंगल जला है. जिससे करीब 165,300 रुपए का नुकसान हुआ है.
वहीं बीते 5 महीने की बात की जाए तो प्रदेश के अंदर वनाग्नि के 431 मामले सामने आए हैं, जिसमें 11 लाख रुपए से ज्यादा की हानि हुई है. बता दें हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन घोषित किया जाता है. इस दौरान जंगलों में आग लगने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. वन विभाग और प्रशासन हर साल वनाग्नि की घटनाओं पर काबू करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट तैयार करता है, लेकिन धरातल पर उनका बहुत कम असर दिखता है.