नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने अपने कैंपेन सॉन्ग ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’ को चुनाव आयोग द्वारा बैन किए जाने का दावा किया। इसे लेकर चुनाव आयोग ने विस्तार से जवाब दिया है। दिल्ली चुनाव आयोग ने ‘आप’ के दावे पर सफाई देते हुए कहा कि कैंपेन सॉन्ग को बैन नहीं किया गया है, बल्कि नियमों के हिसाब से उसमें बदलाव करने को कहा गया है। चुनाव आयोग ने ‘आप’ के कैंपेन सॉन्ग को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 का उल्लंघन बताया है। चुनाव आयोग ने इस कैंपेन सॉन्ग को लेकर 8 आपत्तियां दर्ज की हैं। आयोग का कहना है कि हमारी तरफ से गाने पर बैन नहीं लगाया गया है। इस कैंपेन में दूसरे दलों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
चुनाव आयोग ने AAP के कैंपेन सॉन्ग पर बैन लगा दिया है.
इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि इस गाने को अब share न करें।
मतलब समझ गये न ✅ pic.twitter.com/kkgZDRcgXC
— DEEPAK BISHNOI AAP🪙 (@DEEPSBISHNOI_) April 28, 2024
- ये लाइन “जेल के जवाब में हम वोट देंगे” में एक आक्रामक भीड़ को सीएम अरविंद केजरीवाल की तस्वीर पकड़े हुए दिखाया गया है, जिसमें उन्हें सलाखों के पीछे दर्शाया गया है। ये लाइन विज्ञापन में कई बार दिखाई देता है, जो 24 अगस्त 2023 के ECI दिशा-निर्देशों के प्रावधानों और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता के नियम 6(1)(जी) का उल्लंघन करता है।
- प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़प दिखाने वाली क्लिप के साथ “तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे” लाइन स्पष्ट रूप से हिंसा भड़काती है।
- “गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे” और “तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे” जैसी लाइनें जेल में बंद AAP नेता मनीष सिसोदिया को पुलिस द्वारा ले जाते हुए दिखाने वाली क्लिप के साथ इस्तेमाल किए गए हैं, जो पुलिस की खराब छवि पेश करती है। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं।
- “आवाजें खिलाफ थी जो सबको जेल में डाल दिया, बस उनको ही बाहर रखा जिसने इनको माल दिया, इतना लालच, इतनी नफरत, भ्रष्टाचारी से मोहब्बत” यह यह असत्यापित तथ्यों के आधार पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना है और न्यायपालिका पर भी आक्षेप लगाता है।
- अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की तस्वीरों और उनके पार्टी चिन्ह के साथ दिखाए गए वाक्यांश “गुंडो वाली पार्टी छोड़ो” के इस्तेमाल से दूसरे दल और उनके नेता को अपमानजनक टिप्पणी के रूप में चिह्नित किया गया है।
- “तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे” जिसमें आक्रामक भीड़ को पुलिस के साथ भिड़ते दिखाया गया है। असत्यापित तथ्यों के आधार पर सत्तारूढ़ दल की आलोचना को दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि गाने में यह वाक्यांश कई बार दोहराया गया है, जो आपत्तिजनक है।
- अंत में 10 सेकंड के लिए इस्तेमाल किया गया वाक्यांश “जेल का जवाब हम वोट से देंगे” प्रस्तुत प्रतिलेख से गायब है।
- समिति ने कहा कि वाक्यांश “जेल का जवाब हम वोट से देंगे”, “गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे” और “तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे” 24 अगस्त 2023 के ECI दिशा-निर्देशों के पैरा 5 (डी) के प्रावधानों और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता के नियम 6(1)(जी) का उल्लंघन करते हैं।
आतिशी क्या बोलीं ?
थीम सॉन्ग पर चुनाव आयोग ने आपत्ति दर्ज की है. इस पर दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी ईडी-सीबीआई का इस्तेमाल कर विपक्ष के नेताओं को जेल में डालते हैं तो उससे चुनाव आयोग को आपत्ति नहीं होती, लेकिन अगर हम इसे अपने गाने में लिख दें तो चुनाव आयोग को आपत्ति होती है.’
आतिशी के अनुसार बीजेपी तानाशाही करे वो सही है, उसके बारे में कोई प्रचार करे, वो गलत है. आम आदमी पार्टी की थीम सॉन्ग के पूरे गाने में बीजेपी का नाम नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग कहता है कि अगर आप तानाशाही शब्द का इस्तेमाल करती हैं तो आप सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
खतरे में लोकतंत्र – आतिशी
उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस का बैंक अकाउंट सील किया और अब आम आदमी पार्टी के सॉन्ग पर रोक लगाई है, इसका साफ मतलब है कि देश में लोकतंत्र खतरे में है. ऐसा न हो कि 2024 के चुनाव को लोग ऐसे याद करें कि ये वो चुनाव था, जिसमें लोकतंत्र की हत्या हो गई. क्या चुनाव आयोग चाहता है कि ईडी और सीबीआई का राजनैतिकरण सामने न आए.
सच यह है कि तानाशाही सरकारों में विपक्षी पार्टियों को प्रचार करने से रोका जाता है. आज यही हुआ है. बीजेपी के एक और हथियार, चुनाव आयोग ने इस पत्र के माध्यम से आम आदमी पार्टी के कैंपेन सॉन्ग पर रोक लगा दी है. चुनाव आयोग को बीजेपी द्वारा रोज आचार संहिता का उल्लंघन नहीं दिखता लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता सांस तक लेते हैं तो नोटिस आ जाते हैं. “