देहरादून: स्पेशल टास्क फोर्स ने अंतरराष्ट्रीय ठगों के गिरोह का भंडाफोड़ कर दो साइबर ठगों को दबोचा है. खास बात ये है कि पकड़े गए आरोपियों में एक दसवीं पास है, जो अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों का ट्रेनर है. ये दोनों आरोपी अन्य साइबर अपराधियों को फर्जी व्यावसायिक खाते उपलब्ध कराते थे, जिनमें करोड़ों रुपए का लेनदेन पाया गया है. इन साइबर ठगों का अंतरराष्ट्रीय साइबर गैंग से क्रिप्टो करेंसी में रुपयों का लेनदेन होता था. साइबर ठगों के मोबाइलों में क्रिप्टो करेंसी में लाखों रुपए का बैलेंस भी मिला है.
बता दें कि इसी मार्च महीने के पहले हफ्ते में दक्षिण एशियाई देशों से चल रहे साइबर अपराधों के नेटवर्क के खिलाफ भारत सरकार ने कड़ी कार्रवाई की थी. जिसके तहत म्यांमार से 540 भारतीय नागरिकों को स्वदेश वापस लाया गया था. जिनमें से 22 नागरिक उत्तराखंड राज्य के थे. जिसके संबंध में एसटीएफ एसएसपी नवनीत भुल्लर के पर्यवेक्षण में 1 विशेष टीम का गठन किया गया.
एसटीएफ की इस टीम ने सीबीआई और इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के साथ मिलकर संयुक्त पूछताछ की. पूछताछ के दौरान उत्तराखंड राज्य से संचालित किए जा रहे साइबर अपराधियों के संबंध में जानकारियां मिली. जिसके तहत सूचना के आधार पर टीम ने रायपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत महाराणा प्रताप चौक से आगे थानों रोड पर जिला पंचायत चुंगी के पास से 2 आरोपियों को दबोचा.
आरोपियों के पास से बरामद हुए ये सामान
एसटीएफ की टीम ने हरजिंदर सिंह और संदीप सिंह नाम के आरोपियों को गिरफ्तार किया. आरोपियों के कब्जे से 1 लैपटॉप, 7 मोबाइल, 1 पासपोर्ट, 2 चेक बुक, 3 डेबिट कार्ड, 2 पैन कार्ड, 1 पास बुक, 1 स्टाम्प मोहर और किसी फर्म के नाम से मोहर लगे 4 एसबीआई बैंक के फार्म आदि बरामद हुए.
इस तरह देते थे ठगी को अंजाम
संदीप और हरजिंदर दोस्त हैं. ये दोनों टेलीग्राम के माध्यम से साइबर अपराधियों के संपर्क में आए. इन आरोपियों ने अलग-अलग लोगों को झांसे और विभिन्न प्रकार से प्रलोभनों में लेकर फर्मों के नाम से कई बैंकों में करंट अकाउंट्स खुलवाए. अकाउंट खुलवाने के बाद वो अकाउंट से संबंधित चेक बुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग के यूजर-पासवर्ड, डेबिट कार्ड और बैंक अकाउंट लिंक ओटीपी मोबाइल नंबर अपने पास रख लेते थे.
टेलीग्राम से संचालित साइबर अपराधियों को एक एप के माध्यम से अकाउंट लिंक किए जाते थे. जिसमें मैसेज फॉरवर्ड एप के जरिए ओटीपी नंबर लिंक कर देते थे. उसके बाद ये सभी अकाउंट पूरे भारत के अलावा अन्य देशों में भी अलग-अलग प्रकार के साइबर अपराधों में ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल करते थे. हर अकाउंट में ट्रांजेक्शन हुई धनराशि का एक प्रतिशत के हिसाब से इन दोनों (संदीप और हरजिंदर) को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से वॉलेट में यूएसडीटी (क्रिप्टो करेंसी) में भुगतान मिलता था.
जिसे ये दोबारा टेलीग्राम चैनल के माध्यम से साइबर ठगों को कम दामों पर बेचकर भारतीय मुद्रा में धनराशि हासिल कर लेते थे. इन धनराशियों को वो विभिन्न खातों (जिन्हें खुद खोला) उसमें ले लेते थे. फिर एटीएम से कैश में विड्रॉल कर लेते थे. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पिछले एक साल के भीतर ही प्रॉफिट के रूप में करीब 1 करोड़ 20 लाख की धनराशि हासिल कर चुके थे.
जिसमें से करीब 25 लाख मार्च महीने में ही हासिल किया था. आरोपी संदीप सिंह और हरजिंदर सिंह के मोबाइल के डिजिटल वॉलेट में लाखों रुपए की क्रिप्टो करेंसी भी पाई गई है. अब एसटीएफ इस मामले में आगे छानबीन कर कार्रवाई करने की योजना बना रही है.
गिरफ्तार संदीप फ्लैग कॉरपोरेट अकाउंट खुलवाने का एक्सपर्ट है. इसकी दक्षता को देखते हुए साइबर अपराधियों ने इसे जून-जुलाई 2024 में मलेशिया बुलाया था. जहां पर संदीप ने साइबर अपराधियों को ट्रेनिंग भी दी. विवेचना के दौरान आरोपियों से बरामद ट्रस्ट वॉलेट के ट्रांजेक्शन डिटेल की जानकारी ली जा रही है. जो प्रॉफिट अमाउंट इन्हें अलग-अलग अकाउंट में मिली है. हवाला ट्रेडर्स की ओर से किस प्रकार से अवैध रूप से क्रिप्टो ट्रेडिंग की जा रही थी, इसके संबंध में भी विवेचना की जाएगी.
– नवनीत भुल्लर, एसटीएफ एसएसपी, उत्तराखंड