देहरादून: प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में शामिल आबकारी विभाग की नई नीति अभी तक अस्तित्व में नहीं आ पाई है। पुरानी नीति की अवधि इसी माह समाप्त हो रही है। अमूमन बजट सत्र में नई नीति की जानकारी विभागीय बजट प्रस्तुत करते हुए दी जाती है। इसमें अनुमानित राजस्व का जिक्र होता है, जो अनुमानित राजस्व प्राप्ति के मद की राशि को बढ़ाता अथवा घटाता है। नए वित्तीय वर्ष की नीति का खाका तकरीबन एक माह पूर्व शासन को भेज दिया गया था, अभी तक इसे स्वीकृति नहीं मिल पाई है। माना जा रहा है कि यदि बजट सत्र से पहले यह नीति कैबिनेट के समक्ष नहीं आती तो फिर मौजूदा नीति को ही एक माह का विस्तार दिया जा सकता है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार का आबकारी राजस्व लक्ष्य 3600 करोड़ रुपये है। इसके सापेक्ष विभाग फरवरी तक 3200 करोड़ रुपये प्राप्त कर चुका है। अभी विभाग निर्धारित लक्ष्य से 400 करोड़ रुपये पीछे चल रहा है। इसका कारण विभाग द्वारा निर्धारित की गई 622 दुकानों का पूर्ण रूप से आवंटन न होना भी रहा। वर्ष 2020 में भी विभाग निर्धारित लक्ष्य 3200 करोड़ के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया था। इसे देखते हुए आबकारी मुख्यालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आबकारी नीति का खाका खींचा, जिसमें इस तरह की प्रविधान किए गए है कि स्वीकृत सभी दुकानों का आवंटन हो जाए। इसके लिए दुकानों के आवंटन के लिए आनलाइन बोली की व्यवस्था में कुछ परिवर्तन प्रस्तावित हैं।
- एक माह बढ़ाई जा सकती है मौजूदा नीति की समय सीमा
- राजस्व लक्ष्य से 400 करोड़ रुपये पीछे चल रहा विभाग
प्रस्ताव में नीति को दो वर्ष के स्थान पर एक वर्ष करने का बिंदु भी शामिल है। साथ ही शराब के दामों में कटौती भी प्रस्तावित है। इसमें तस्करी पर रोक व पारदर्शी व्यवस्था के लिए आबकारी परिवहन में लगे वाहनों में जीपीएस लगाने की योजना भी प्रस्तावित की गई है। इसके लिए बजट प्रविधान करने का भी अनुरोध किया गया है।