न्यूज़ डेस्क: सूडान की राजधानी स्टॉकहोम के टेबी कस्बे में उत्खनन कर रहे पुरातत्वविदों को करीब एक हजार साल पुराना खजाना मिला है. यह खजाना चांदी का है, जिसमें ज्वेलरी से लेकर कई चीजें शामिल हैं. पुरातत्वविदों को खुदाई में मिले 20 से ज्यादा प्राचीन घरों के अंदर मलबे में से यह खजाना मिला है. खुदाई में शामिल एक पुरातत्वविद का कहना है कि जब खजाना निकला तो उसमें रखे करीब एक हजार साल पुरानी ज्वेलरी पर नई जैसी चमक थी. दरअसल, स्टॉकहोम के बाहरी इलाके में बसे टेबी में पुरातत्वविद वाइकिंग एज सेटलमेंट की खुदाई कर रहे थे. इस दौरान पुरातत्वविदों को 20 घर और इमारतों के ढांचे मिले. इन्हीं में से एक बिल्डिंग के फर्श के नीचे खजाने की खोज की गई. हालांकि, फर्श की हालत को काफी खराब थी, लेकिन खजाना काफी सही हालत में पुरातत्वविदों को मिला है.
प्राचीन चांदी के खजाने को देखकर हैरान रह गए पुरातत्वविद
प्राचीन चांदी के खजाने में पुरातत्वविदों को करीब 8 नेक रिंग ( गले में पहनने वाला जेवर ), दो बाजू पर पहनने वाली रिंग, एक अंगूठी, दो माला और 12 ऐसे कॉइन मिले, जिन्हें शायद पेंडेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता होगा. सारी ज्वेलरी एक मिट्टी के बर्तन में रखी थी. बर्तन के अंदर से काफी ज्वेलरी ऐसी निकली, जिसकी हालत काफी ठीक थी. इसका फायदा पुरातत्वविदों को उनकी जांच के दौरान मिलेगा. सूडान की प्राचीन साइट पर उत्खनन का काम कर रही पुरातत्वविद मारिया लिंगस्ट्रोम ने कहा कि यह कुछ ऐसा है, जिसका जीवन मे अनुभव एक बार ही हो पाता है. मारिया ने बताया कि जब उनकी टीम को खजाना दिखा तो उन्होंने आराम से उसे बाहर निकालना शुरू किया. सबसे पहले एक-एक करके नेक रिंग निकाले गए.
करीब एक हजार साल भी नई जैसी हालत में मिली ज्वेलरी
मारिया ने बताया कि नेक रिंग के बाद भी ज्वेलरी लगातार निकलती जा रही थी, जिसने उन्हें और ज्यादा उत्साहित कर दिया. मारिया ने बताया कि एक हजार साल पुराने होने के बावजूद ज्वेलरी की कंडीशन नहीं खराब हुई. उन्हें इतने अच्छे से जमीन के नीचे दबाया गया था कि इतने समय बाद भी वे सब नए जैसे थे.
पुरातत्वविदों के अनुसार, जो सिक्के मिले हैं, वो वाइकिंग एज के दौरान होने वाले कारोबार समेत कई चीजों का उदाहरण है. खास बात है कि खजाने में जो कॉइन मिले, वे इग्लैंड समेत कई देशों से भी ताल्लुक रखते हैं. वहीं कई ऐसे सिक्के भी हैं, जो अरब देशों के बताए जा रहे हैं. एक यूरोपियन कॉइन तो काफी ज्यादा दुर्लभ बताया जा रहा है. स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर Jens Christian Moesgaard ने इस बारे में कहा कि जिस तरह के सिक्के मिले हैं, ऐसे सिक्कों को एक 18वीं सदी की पुरानी किताब में देखा गया था.