नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज दो हजार रुपये के नोट के प्रसार को रोकने का निर्देश सभी बैंकों को दिया है। इसके बाद से ही लोग इस उधेड़बुन ने फंसे हैं कि क्या ये नोट वाकई बंद होने जा रहे हैं या फिर बात कुछ और है ?
तो आपके प्रश्न का उत्तर हम दे देते हैं। दरअसल, आरबीआई ने बाजार में मौजूद दो हजार के नोटों को अमान्य घोषित नहीं किया है, बल्कि उनके सर्कुलेशन को रोकने ऐलान किया है और 30 सितंबर तक आप अपने नोटों को बदलवा भी सकते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि दो हजार का नोट भारतीय मुद्रा में सबसे बड़ा नोट है तो ऐसा नहीं है, क्योंकि इससे पहले हमारी भारतीय मुद्रा में सबसे बड़े नोट का खिताब 10 हजार के नोट के पास था। ये दावा हम नहीं कर रहे बल्कि ये तो आरबीआई की वेबसाइट कह रही है। दरअसल, 10 हजार रुपये के नोट चलन सन् 1938 में था। जिसे 1946 में अमान्य करार दिया गया था। हालांकि 1954 में इसे शुरू भी किया गया, लेकिन 1978 में इसे फिर से विमुद्रीकृत कर दिया गया।
वर्तमान में चल रहे ये नोट
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, भारत में इस समय 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 रुपये नोट जार किए जा रहे हैं। इन्हें बैंक नोट कहा जाता है, क्योंकि ये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। बता दें कि इससे पहले दो और पांच रुपये के नोट भी छापे जाते थे। इन बैंक नोटों की छपाई और सर्विसिंग की लागत उनके जीवन के अनुरूप नहीं थी, इसलिए इन पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, पहले जारी किए गए ऐसे बैंकनोट अभी भी संचलन में पाए जा सकते हैं।
इस मूल्यवर्ग तक के नोट जारी हो सकते हैं
आरबीआई कहता है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार, बैंक नोट दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये के मूल्यवर्ग के हो सकते हैं। हालांकि अगर केंद्र सरकार या केंद्रीय बोर्ड चाहे तो एक हजार रुपये, पांच हजार रुपये और 10 हजार रुपये या इस तरह के अन्य मूल्यवर्ग के नोट जारी करने के संदर्भ में निर्दिष्ट कर सकती है। ध्यान रहे कि 10 हजार से ज्यादा राशि के नोट नहीं होने चाहिए।
भारत में कब-कब हुई नोटबंदी
आजादी से एक वर्ष पहले 12 जनवरी, 1946 को भारत में पहली बार नोटबंदी हुई। जिसमें ब्रिटिश शासन में जारी हुए 500, एक हजार और 10 हजार रुपये के नोटों को अमान्य बता दिया गया था। कई जानकार बताते हैं कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने 10 हजार के नोट को कालेधन पर प्रहार के तौर पर बंद किया था। क्योंकि उन दिनों भारत में व्यापारी बड़ा मुनाफा कमाते थे सरकार की नजर से छुपाने का प्रसास करते थे।
1978 मोरारजी देसाई की सरकार ने 16 जनवरी, 1978 को एक हजार, पांच हजार और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था।
8 नवंबर, 2016 को देश में मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी। इस दौरान बाजार में चल रहे तत्कालीन पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों की वैधता खत्म कर दी गई थी। हालांकि पांच सौ के नए नोट और दो हजार के नोटों को जारी किया गया था।