लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गृहकर व जलकर की तर्ज पर एक और टैक्स की तैयारी हो रही है। इस टैक्स की वसूली के लिए विस्तृत नियमावली तैयार की जा रही है। इसमें टैक्स की दर से लेकर इसकी वसूली करने वाले विभाग तक का नाम तय किया जाएगा। इस टैक्स का नाम फायर टैक्स है। उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022 में फायर टैक्स का प्रावधान किए जाने के बाद इसकी कवायद शुरू हो गई है। केंद्र सरकार के मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल-2019 को स्वीकार करते हुए तैयार किए गए। इस अध्यादेश के विधेयक के रूप में आने और कानून बन जाने के बाद उसके लागू होने पर अग्निशमन विभाग ज्यादा अधिकार संपन्न हो जाएगा। प्रदेश सरकार अपने पुलिस तंत्र की तरह ही अग्निशमन विभाग का तंत्र भी ज्यादा व्यापक और प्रभावी बनाने की तैयारी में है।
इसके तहत अग्निशमन विभाग को न सिर्फ ज्यादा मैनपॉवर दिया जाएगा, बल्कि ज्यादा अधिकारों के साथ जरूरी उपकरण भी दिए जाएंगे। तहसील स्तर तक अपनी मौजूदगी के कारण अग्निशमन विभाग के लिए किसी भी आपदा की स्थिति में सबसे पहले पहुंचना आसान होता है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें उसके बाद ही पहुंच पाती हैं। ऐसे में उसके पास हर तरह के संसाधनों की उपलब्धता भी जरूरी मानी जाती है। अध्यादेश में बड़े और व्यवसायिक भवनों के लिए फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है। ये ऑफिसर जिले के चीफ फायर सेफ्टी ऑफिसर (सीएफएसओ) या अग्निशमन अधिकारी (एफएसओ) स्तर की ट्रेनिंग लेने के बाद ही तैनात होंगे।
ऐसे में इन आफिसरों की ट्रेनिंग भी अग्निशमन विभाग को ही करानी होगी। इसके लिए वे अपनी ट्रेनिंग क्षमता का भी विस्तार करना होगा। फिलहाल उन्नाव स्थित ट्रेनिंग सेंटर की क्षमता में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है।