नई दिल्ली: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक बड़े दांव चल रहे हैं। पहले उन्होंने एनडीए के सामने इंडिया गठबंधन खड़ा कर दिया है और अब अपनी पार्टी की कमान खुद संभालकर 2024 से पहले बड़ा संकेत दे दिया है। अब उनकी सरकार के साथ-साथ पार्टी में भी भरपूर पकड़ रहेगी और अपने मनमुताबिक कोई भी बड़ा फैसला ले सकते हैं। आइये जानते हैं कि पार्टी अध्यक्ष के पास क्या-क्या पॉवर होती है।
पिछले कई दिनों से जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे को लेकर अटकलों का बाजार गरम था। दिल्ली में शुक्रवार को हुई जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में इन अफवाहों पर विराम लग गया। ललन सिंह ने इस मीटिंग में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखा, जिसे नीतीश कुमार ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद ललन सिंह ने खुद ही अध्यक्ष पद के लिए नीतीश कुमार का नाम आगे बढ़ाया, जिसे पार्टी ने सर्वसम्मति से मान लिया है। अब नीतीश कुमार का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है।
पार्टी अध्यक्ष के पास होते हैं ये अधिकारी
एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास काफी पॉवर होती है। अध्यक्ष पार्टी से संबंधित कोई भी निर्णय ले सकता है। जेडीयू अध्यक्ष के तौर पर अब नीतीश कुमार का पार्टी पर कब्जा हो गया है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश खुद पार्टी की कमान संभालेंगे। इस स्थिति में वे अकेले ही पार्टी के गठबंधन और सीट शेयरिंग से संबंधित सारे फैसले लेंगे। साथ ही वे लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का भी चयन करेंगे और फिर उन्हें सिंबल भी जारी करेंगे।
एनडीए के सामने चुनौती खड़ी कर रहे हैं नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों को एक मंच यानी इंडिया गठबंधन में लाकर खड़ा कर दिया है। इंडिया गठबंधन के तहत अब विपक्ष एकजुट होकर एनडीए के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ेगा। इंडिया गठबंधन एक सीट, एक उम्मीदवार के फॉर्मूले पर लोकसभा चुनाव में उतरेगा, जिससे एनडीए को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
क्या टूट जाएगा इंडिया गठबंधन?
देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी रणनीति बना ली है। इस बार के चुनाव में सिर्फ दो गठबंधन इंडिया और एनडीए के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। इंडिया गठबंधन एक लोकसभा सीट, एक उम्मीदवार के फॉर्मूले पर काम कर रहा है, जिससे चुनाव में एनडीए को बड़ी चुनौती मिल सकती है। इस बीच महाराष्ट्र की तरह ही बिहार की राजनीति में उथलपुथल देखने को मिल सकता है। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि अगर नीतीश कुमार ने पलटी मार दी तो इंडिया गठबंधन का क्या होगा?
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक चल रहा है, लेकिन ऐसा नहीं दिख रहा है। नीतीश कुमार का इतिहास रहा है कि कभी वे एनडीए के पाले में चले जाते हैं तो कभी इंडिया गठबंधन के साथ। इस वक्त बिहार की राजनीति गरम है और हर कोई इस गरम तवा में अपनी राजनीतिक रोटी सेकना चाहता है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के सहारे चल रही है। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी आरजेडी का सीएम नहीं है। ऐसे में लालू यादव के मन में कहीं न कहीं यह चाहत है कि उनका बेटा तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने।
बिहार में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद राजद का सीएम नहीं
बिहार में हुए विधानसभा चुनाव 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी राष्ट्रीय जनता दल ने 75 सीटों पर जीत दर्ज हासिल की थी, जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी और तीसरे नंबर पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) थी। जदयू ने एनडीए के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, इसलिए नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद एनडीए से मनमुटाव होने के बाद नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और आरजेडी-कांग्रेस के साथ मिलकर फिर सरकार बना ली। पाला बदलने की उनकी रणनीति से हर पार्टी और नेता वाकिफ है।
क्या एनडीए में शामिल हो सकते हैं नीतीश कुमार?
ललन सिंह के इस्तीफे की अफवाह के बाद सीएम नीतीश कुमार को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। कुछ का कहना है कि नीतीश कुमार फिर पलटी मार सकते हैं। यानी वे फिर से एनडीए में शामिल होने की जुगाड़ तलाश रहे हैं, लेकिन भाजपा नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए का दरवाजा हमेशा के लिए बंद है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने यहां तक कह दिया कि लालू यादव की जाल में नीतीश कुमार फंस चुके हैं। अब यह तो वे सरेंडर कर दें या फिर तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी पर बैठा दें। हालांकि, विपक्षी नेताओं का कहना है कि इंडिया गठबंधन में ऑल इज वेल है।
पीएम फेस घोषित न करने से भी नाराज हैं नीतीश
आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है। उनके दम भी इंडिया गठबंधन बना और अब वे ही इस अलायंस के सदस्य नहीं रहेंगे तो ये कैसे चलेगा? बताया जा रहा है कि दिल्ली में पिछले दिनों हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम फेस के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा था, जिसमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी सहमति जताई थी। हालांकि, खड़गे ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा था कि इस पर फैसला चुनाव के बाद करेंगे। सूत्रों का कहना था कि प्रधानमंत्री फेस नहीं घोषित होने से नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे। अब उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। हालांकि, इस पर जेडीयू की तरफ किसी ने कुछ नहीं कहा है।
2019 में एनडीए के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ी थी नीतीश की पार्टी
अगर नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से अलग हो गए तो लोकसभा चुनाव में विपक्ष को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर नीतीश ने एनडीए से हाथ मिला लिया तो बीजेपी बिहार में पिछले चुनाव 2019 के अपने प्रदर्शन को बरकरार रख सकती है और उनके सामने चुनौतियां भी कम हो सकती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के तहत भाजपा, जेडीयू और लोजपा ने मिलकर बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी।