नई दिल्ली: विपक्षी इंडिया गठबंधन के घटक दलों के शीर्ष नेताओं की 19 दिसंबर को दिल्ली में बैठक हुई थी. इस बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन ने 31 दिसंबर की डेडलाइन तय की थी. 31 दिसंबर की तारीख बीत गई. समय चक्र की चाल अब चुनावी साल में प्रवेश कर गई है लेकिन विपक्षी गठबंधन में अभी तक कुछ तय नहीं हो सका है. अब इंडिया गठबंधन के घटक दल सीट शेयरिंग को लेकर एक्टिव होते नजर आ रहे हैं.
इंडिया गठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों के मुताबिक सीट शेयरिंग को लेकर अनौपचारिक रूप से बातचीत हो रही है. सूत्रों की मानें तो गठबंधन के घटक दल अपने-अपने स्तर पर सीटों को लेकर मंथन में जुटे हैं. कांग्रेस दो से तीन दिन में अपनी आंतरिक बैठक कर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार करेगी. इसके बाद क्षेत्रीय दलों के साथ चर्चा का दौर शुरू होगा.
लेफ्ट पार्टियों के सूत्रों की मानें तो नेतृत्व भी मान रहा है कि अलग-अलग राज्यों में छिटपुट मतभेद जारी रहेंगे और फैसला हर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ही लेना होगा. सीट शेयरिंग के पेच पर सियासी दल जैसे-जैसे सहमति की ओर बढ़ते जाएंगे, औपचारिक बैठक की तारीख भी तय कर ली जाएगी. लेफ्ट के मुताबिक इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाने को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हो रही है. पूरा का पूरा ध्यान सीट शेयरिंग पर है.
वहीं, महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का भी बयान आया है. उन्होंने कहा है कि 15 दिन पहले दिल्ली में शरद पवार, सोनिया गांधी और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई थी जिसमें सीट शेयरिंग पर विस्तार से चर्चा हुई. सुप्रिया सुले ने यह भी दावा किया कि सभी चीजें लगभग सुलझा ली गई हैं. कुछ दिन में हम इसे लेकर पूरी जानकारी सार्वजनिक कर देंगे. उन्होंने ये भी दावा किया कि महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर किसी भी तरह का कोई कंफ्यूजन नहीं है.
संजय राउत ने क्या कहा?
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने 19 दिसंबर को दिल्ली बैठक का जिक्र करते हुए कहा है कि जितनी जल्दी संभव हो, सीटों का बंटवारा कर लिया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि गठबंधन का संयोजक या चेयरपर्सन चुनने के लिए कोई बैठक नहीं हुई है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक संजय राउत ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का फेस बनाने को लेकर सवाल के जवाब में कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव दिल्ली की बैठक में भी नहीं आया था.