देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की कमी हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रही है. प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम रही है, जिसमें से कुछ कारगर भी साबित हुई है और उनका लाभ आम जनता को मिला भी है. वहीं अब सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए एक और कदम उठाया है. जिसमें तहत स्वास्थ्य विभाग ने विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिटायरमेंट की आयु को पांच साल बढ़ाने का निर्णय लिया है. इससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने यू कोट वी पे योजना के तहत तमाम विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती की थी.
स्वास्थ्य विभाग अब विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की सीमा 60 साल से बढ़ाकर 65 साल करने जा रहा है, साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए अलग कैडर भी बनाया जाएगा, जिसका प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक के सम्मुख रखा जाएगा. दरअसल, शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय बैठक की गई. इस बैठक मे विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए अलग कैडर बनाने और सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाने का निर्णय लिया गया.
वहीं, मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसका प्रस्ताव अगले एक हफ्ते के भीतर तैयार कर शासन को सौंप दे, ताकि आगामी कैबिनेट बैठक के दौरान इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल ली मंजूरी मिल सके. इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की मुहर लगने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर हो सकेगी.
यही नहीं बैठक के दौरान निर्णय लिया गया है कि स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के खाली पड़े पदों पर तय वेतनमान पर चिकित्सकों की तैनाती किया जाएगी. साथ ही पीजी कोर्स करने गये एमबीबीएस डॉक्टर्स के विकल्प के रूप में कुछ अस्थाई पदों पर भी चिकित्सकों की भर्ती का निर्णय लिया गया है, जिसका प्रस्ताव भी कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा.
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के तकनीकी संवर्ग में 1300 पद खाली है, लेकिन मात्र 250 पदों को भरने की स्वीकृति कैबिनेट ने दी थी, जब की प्रदेश भर में 1300 पदों पर टेक्नीशियन की आवश्यकता है. लिहाजा सभी पदों को भरने से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट के सम्मुख रखा जाएगा, ताकि प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में खाली पड़े तकनीशियनों के पदों को भरा जा सके.
राजकीय मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशिलिस्टों का बढ़ेगा वेतनमान
प्रदेश के तमाम राजकीय मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के खाली पड़े 156 पदों को भरने का रास्ता भी खुल गया है. दरअसल, बैठक में खाली पड़े पदों को भरने के लिए मिनिमम आयु सीमा 62 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है, जिसका प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से शासन को भेजा जायेगा, जिस पर राज्य सरकार की ओर से स्वीकृति दी जायेगी. लिहाजा भविष्य में मेडिकल कॉलेजों को 53 प्रोफेसर और 103 एसोसिएट प्रोफेसर मिल सकेंगे. इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा के तहत राजकीय मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशिलिस्टी विभागों के खाली पड़े पदों का वेतनमान बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है, जिसका प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा.