नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. दिल्ली सरकार में मंत्री और पार्टी नेता आतिशी (Atishi) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाते हुए कहा कि उत्पाद शुल्क नीति के मामले में एक सवाल लगातार उठता रहा है कि पैसे का रास्ता कहां है, शराब कारोबारी ने किसे और कहां भुगतान किया? ईडी मनी ट्रेल को स्थापित नहीं कर पाई है, सिर्फ बयान के आधार पर गिरफ्तारी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ही सवाल पूछा कि मनी ट्रेल कहां है. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी शरथ रेड्डी के ही बयान पर आधारित है. दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी अरबिंदो फार्मा के एमडी शरथ रेड्डी सरकारी गवाह हैं.
उन्होंने आगे कहा कि रेड्डी एपीएल हेल्थकेयर जैसी फार्मा कंपनियां भी चलाते हैं, उनको 9 तारीख को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. नवंबर 2022 उन्होंने कहा था कि मैं अरविंद केजरीवाल से नहीं मिला हूं, मेरा AAP से कोई संबंध नहीं है, अगले दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. महीनों बाद उन्होंने अपने बयान बदल दिए और उन्हें जमानत मिल गई लेकिन यह महज बयान है, पैसे का कोई सुराग नहीं मिला.
आइए, मैं आपको शराब घोटाले के money trail की सच्चाई बताती हूँ –
दिल्ली में नई आबकारी पालिसी के तहत अरबिन्दो फ़ार्मा के मालिक शरत चंद्र रेड्डी को शराब बेचने के लिए कुछ ज़ोन मिले। ये APL हेल्थकेयर और EUGIA फार्मा के भी मालिक है। 9 नवम्बर को शरत चंद्र रेड्डी ने बयान दिया कि उन्होंने… https://t.co/lrQGwpwXGo
— Atishi (@AtishiAAP) March 23, 2024
‘सारा पैसा बीजेपी के खातों में…‘
आतिशी ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि रेड्डी की कंपनियों ने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 4.5 करोड़ रुपये दिया. इंडो फार्मा, एपीएल हेल्थकेयर के मालिक रेड्डी ने चुनावी बॉन्ड के रूप में बीजेपी को पैसे दिए. गिरफ्तारी के बाद रेड्डी की कंपनियों ने 55 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा दिया. मनी ट्रेल का पता चला, सारा पैसा चुनावी बॉन्ड के रूप में बीजेपी के खातों में गया.
आतिशी ने आगे कहा कि मामले में बीजेपी को आरोपी बनाया जाना चाहिए, ईडी को चाहिए कि जेपी नड्डा को गिरफ्तार करे. चुनावी चंदे के रूप में 4.5 करोड़ रुपये और 55 करोड़ रुपये रेड्डी द्वारा भुगतान किए गए, जो कि एक्साइज पॉलिसी केस में आरोपी हैं. चुनावी बॉन्ड के जरिए बीजेपी ने शरथ रेड्डी से पैसा लिया. दो बार के चुनावी चंदे को मिलाकर यह पूरा अमाउंट 59.4 करोड़ रूपए हो जाता है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति लेकर आई थी, जिसमें विवाद बढ़ने के बाद 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया. 31 जुलाई को कैबिनेट नोट में ये माना गया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बावजूद सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 1,485 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला, जो बजट अनुमान से करीब 38 फीसदी कम था.