कांग्रेस के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत को फिर से ED का समन, 2 अप्रैल को पेश होने को कहा

खबर उत्तराखंड

देहरादून: पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हरक सिंह रावत को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी ने फिर से समन भेजा है. हरक सिंह को दो अप्रैल को ईडी दफ्तर में पेश होने के लिए कहा गया है. इससे पहले भी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को तलब किया था, और इनके कुछ ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.

यह पूछताछ तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध पेड़ कटान, अवैध निर्माण और कई दूसरे मामलों में हो रही है. दो अप्रैल को हरक सिंह रावत को ED दफ्तर में पेश होने के लिए कहा गया है, जबकि उनकी पत्नी दीप्ति रावत और अन्य लोगों को भी अप्रैल महीने में तलब किया गया है. फिलहाल इस मामले में हरक सिंह रावत की तरफ से कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया गया है.

दरअसल, इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को लेकर बीती 7 फरवरी को ईडी ने हरक सिंह रावत और उनके कुछ करीबियों वीरेंद्र सिंह कंडारी और पूर्व आईएफएस अधिकारियों किशन चंद व बृज बिहारी शर्मा के घर समेत 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. तब ईडी की टीम को करीब 1.10 करोड़ रुपए की नकदी और 80 लाख रुपए की कीमत का करीब 1.3 किलो सोना बरामद हुआ था. इसके अलावा ईडी को 10 लाख रुपए की विदेश मुद्रा भी मिली थी. ईडी ने तब कार्रवाई करते हुए बैंक लॉकर, डिजिटल उपकरण, अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज जब्त भी किए थे.

तब ईडी ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया था कि वीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने हरक सिंह रावत के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचकर एक जमीन की दो पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कराई थी. इसके बाद आरोपियों ने उस जमीन को अवैध रूप से हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह को बेच दी थी. जिस पर श्रीमती पूर्णादेवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस देहरादून का निर्माण कराया गया था.

ईडी ने बताया कि इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच भी शुरू कर दी है. पुलिस ने वीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य के खिलाफ आईपीसी 1860 की विभिन्न धाराएं लगाई हैं. इसके अलावा हरक सिंह रावत पर सरकारी खजाने के गलत इस्तेमाल का भी आरोप लगा है.

ईडी के आरोपों के मुताबिक, पूर्व आईएफएस बृज बिहारी शर्मा और किशन चंद समेत कई लोगों के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम और पीसी अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराएं लगी हैं. आरोप है कि इन सभी ने तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के साथ मिलकर उत्तराखंड सरकार के नियमों को उल्लंघन करते हुए वित्तिय शक्तियों की अपेक्षा अधिक राशि की निविदा प्रकाशित करवाई है. ईडी की ओर से बताया गया था कि, जांच में पता चला है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनाकर टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन और कैंपा शीर्ष के तहत पैसों का दुरुपयोग किया है. इसके साथ ही कॉर्बेट में 163 पेड़ों की जगह 6000 से ज्यादा पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है.

हालांकि, कांग्रेस ने इसे द्वेष भावना के तहत की गई कार्रवाई बताया था. चुनाव के दौरान हुई इस कार्रवाई के बाद हरक सिंह रावत ने कहा था कि अगर वो दोषी पाए जाते हैं तो हर सजा भुगतने के लिए तैयार हैं. हरक ने कहा था कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक अवैध पत्ता तक नहीं कटवाया है.

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *