नई दिल्ली: भारत में चुनाव को लोकतंत्र के उत्सव की तरह देखा जाता है. भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) अब इस उत्सव को पूरी तरह धांधली मुक्त बनाने जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) आने के बाद जहां चुनाव में गड़बड़ियों को रोकने में काफी हद तक मदद मिली. वहीं अब आयोग इस पर 100% रोक लगाने जा रहा है. चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में डुप्लीकेसी को पूरी तरह खत्म करने का बीड़ा उठाया है. अभी कई बार ये देखा गया है कि एक ही व्यक्ति अगल-अलग पते, शहर या राज्य के हिसाब से एक से ज्यादा मतदाता सूची में पंजीकृत होता है. ऐसे मे वो अलग-अलग जगहों पर मतदान करता है. इस तरह मतदाता सूची में मिलने वाली इस डुप्लीकेसी को अब आयोग समाप्त करने के करीब पहुंच गया है.
आधार से लिंक हुए वोटर आईडी
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची (Electoral Roll) में से डुप्लीकेसी को खत्म करने के लिए वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने का काम शुरू किया था. अब तक देश में 56 करोड़ से भी ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक किया जा चुका है. भारतीय चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वह दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इलेक्टोरल रोल में डुप्लीकेसी खत्म करने से जुड़ी घोषणा कर सकता है. इस तरह एक ही मतदाता की दो या अधिक वोटर आईडी होने का जंजाल पूरी तरह नष्ट हो जाएगा.
अंतिम चरण में है सब कुछ
चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि वह एक खास सॉफ्टवेयर की मदद से इस डुप्लीकेसी को खत्म कर रहा है. वह इस प्रक्रिया के लगभग अंतिम चरण में है. इतना ही नहीं इलेक्टोरल रोल के डेटा को अब डिजिटल और ऑनलाइन तरीके से सिंक किया जा रहा है.
डेटा सुरक्षा के लिए उठाए कदम
इलेक्टोरल रोल के डेटा की सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग ने कई अहम कदम उठाए हैं. आयोग बीते दो साल से इलेक्टोरल रोल में डुप्लीकेसी खत्म करने पर काम कर रहा है. गौरतलब है कि चुनाव आयोग आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को पिछले दो साल से लिंक करने का खास अभियान चला रहा है. हालांकि इन्हें लिंक करने की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक है. उन्हें इन दोनों कार्ड को लिंक करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
वोटर आईडी को आधार कार्ड से लिंक करने के दो बड़े फायदे होंगे. पहला ये कि एक व्यक्ति एक ही बार अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज करवा सकेगा, इससे डुप्लीकेसी रुकेगी और फर्जी वोटर आईडी बनाने पर लगाम लगाई जा सकेगी. दूसरा ये कि देश में लाखों वोटर्स ऐसे हैं जिनके नाम दो-तीन जगह की वोटर लिस्ट में हैं. ऐसे में न सिर्फ धांधली होती है, बल्कि वोटिंग प्रतिशत भी खराब होता है.