देहरादून: उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) और उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के बीच अंतरिक्ष विज्ञान को जन जन तक कैसे पहुंचाया जाए तथा रिसर्च के क्षेत्र में नए नए प्रयोग क्या क्या किए जाएं इस पर संयुक्त रूप से कार्य होंगे। इस मौके पर यूसैक निदेशक प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट ने कहा,”मेरा मानना है कि किसी भी संस्थान के खुलने का उद्देश्य तब तक अधूरा है जब तक उसके द्वारा किये जा रहे शोध कार्य का लाभ परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से क्षेत्र व राष्ट्रीय स्तर पर न पहुँचे। और उस ज्ञान का प्रसार आम नागरिकों तक न पहुँचे।”
उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र के वैज्ञानिकों की सहायता से हमने प्रदेश के सुदूर पहाड़ी अंचल में रहने वाले विद्यार्थियों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों तक अन्तरिक्ष विज्ञान की उपयोगिता को उनके निजी जीवन से लेकर प्रदेश एवं देश के विकास में किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है, का भरसक प्रयास किया।
इसी कड़ी में सोमवार को उत्तराँचल विश्वविद्यालय एवं उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र के बीच अकादमिक अनुबंध करने सुअवसर प्राप्त हुआ। यूसैक की ओर से मेरे साथ डा० प्रियदर्शी उपाध्याय, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं श्रीराम मेहता, प्रशासनिक अधिकारी तथा उत्तरांचल विश्वविद्यालय की ओर से प्रो० धरम बुद्धी, कुलपति, डा० अजय सिंह, अधिष्ठाता शोध एवं विकास तथा एस सी शर्मा, कुलसचिव, व डा० राजेश सिंह, विभागाध्यक्ष इनोवेशन की गरिमापूर्ण उपस्थिति में विश्वविद्यालय के चांसलर चेम्बर में सम्पन्न हुई।
इस अनुबंध के पश्चात् दोनों संस्थाओं के बीच शोध एवं अनुसंधान कार्य, विज्ञान का प्रसार, सेमिनार, पी एच डी कार्य में निर्देशन, तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम को साझा किया जा सकता है। यह अनुबंध आगामी तीन वर्षों के लिए मान्य है और भविष्य में अच्छा परिणाम मिला तो अनुबंध को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। मुझे लगता है कि सही मायने में विज्ञान को जन जन तक पहुँचाने तथा अपनी नयी पीढ़ी को लाभान्वित करने का यह एक अति महत्वपूर्ण कदम है ।