राहुल गांधी के लिए नेता प्रतिपक्ष की भूमिका बहुत ही चुनौतीपूर्ण, सहयोगी दल साथ दें : कांग्रेस 

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नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने बुधवार को कहा कि राहुल गांधी बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लोकसभा में विपक्ष के नेता बने हैं और विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ एनडीए से मुकाबला करने के लिए उनके हाथ मजबूत करने चाहिए.

कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि ‘यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय है, जब राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बन गए हैं. देश में संविधान, सार्वजनिक संस्थाओं और लोकतंत्र को खतरा है. राहुल गांधी एक अच्छे विपक्ष के नेता साबित होंगे, लेकिन अन्य विपक्षी दलों को उनका हाथ मजबूत करना चाहिए और सत्तारूढ़ एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट होना चाहिए.’

1989 में तत्कालीन विपक्ष के नेता राजीव गांधी के कार्यकाल में लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक रहे रावत ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने गठबंधन सरकार बनाने की क्षमता होने के बावजूद विपक्ष में बैठने का फैसला किया था, क्योंकि उनका मानना​था कि जनता का जनादेश पार्टी की सीटों की संख्या को 1984 के ऐतिहासिक 400 से घटाकर 1989 में 200 से नीचे ले आया था.

रावत ने कहा कि ‘राजीव गांधी गठबंधन बनाकर आसानी से दोबारा प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने जनादेश का सम्मान किया और विपक्ष में बैठने का फैसला किया. मैंने उनके कार्यकाल में संसदीय कार्य और रणनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा. वे बहुत प्रभावी विपक्ष के नेता साबित हुए और सदन और पार्टी की जिम्मेदारियों का बखूबी समन्वय किया. सदन के अंदर उन्होंने कई मौकों पर तत्कालीन सरकार की पोल खोली.’

रावत ने कहा कि ‘अब, जब मैं राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनते देख रहा हूं, तो यह मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है. मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं, लेकिन मुझे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके लिए आगे का रास्ता आसान नहीं होने वाला है. इसलिए, उन्हें सतर्क रहना चाहिए और सदन और पार्टी की भूमिकाओं में प्रभावी ढंग से समन्वय करना चाहिए.’

रावत ने कहा कि ‘स्वर्गीय राजीव गांधी ने मेरे जैसे कई युवाओं को आगे बढ़ाया और अब राहुल गांधी को भी युवा नेताओं की एक ऐसी फसल तैयार करनी चाहिए, जो भविष्य में पार्टी की संपत्ति बन सकें.’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोकसभा में मजबूत विपक्ष का मतलब होगा कि सत्तारूढ़ एनडीए 2014 से अब तक की तरह खुलकर काम नहीं कर पाएगा, बल्कि उसे संसदीय जांच और संतुलन के तहत काम करना होगा.

रावत ने कहा कि ‘एनडीए रातों-रात नहीं बदलने वाला है. हमने देखा है कि पिछले एक दशक में उन्होंने संसद को कैसे चलाया. लेकिन अब चीजें अलग हैं. एक मजबूत और एकजुट विपक्ष निश्चित रूप से एनडीए पर अंकुश लगाएगा. विपक्ष को सदन में लोगों के मुद्दे उठाने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार जवाबदेह हो.’

उन्होंने कहा कि ‘एक बार जब प्रियंका गांधी भी लोकसभा में राहुल गांधी के साथ आ जाती हैं, तो मुझे लगता है कि दोनों एक घातक संयोजन बन जाएंगे जो एनडीए को कड़ी टक्कर देंगे. इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी सदन में हैं और राहुल और प्रियंका के साथ मिलकर विपक्ष की ताकत बढ़ा रहे हैं.’

सीडब्ल्यूसी सदस्य ने कहा कि हालांकि प्रोटेम स्पीकर बी महताब ने ध्वनिमत से भाजपा के ओम बिरला को नई लोकसभा का अध्यक्ष निर्वाचित घोषित कर दिया, लेकिन संसद के अंदर विपक्ष के उम्मीदवार के सुरेश का कद भी बढ़ गया है. रावत ने कहा कि ‘के सुरेश आठ बार से सांसद हैं. वह एक अनुभवी कांग्रेसी और बहुत सम्मानित सांसद हैं. मुझे लगता है कि नए सदन में उनका कद काफी बढ़ गया है. मुझे यकीन है कि वह सदन के अंदर विपक्ष के एजेंडे को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे.’

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