गैरसैंण: सरकार ने कैबिनेट के बाद विधानसभा से इस बात की मुहर लगवा दी है कि यदि अब कोई भी नागरिक, सरकार की संपत्ति अथवा किसी निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, उसकी भरपाई या वसूली उसी व्यक्ति से की जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने लोक निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2024 को विधान सभा पटल में रख कर उसे सदन से पास करवा लिया है और अब इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद ये कानून का रूप ले लेगा।
उत्तराखंड से पहले ऐसा करने वाले बीजेपी शासित अन्य राज्य भी है, यूपी से ये कानून एक मिसाल बना था। कुछ माह पहले हल्द्वानी में बनभूलपुरा हिंसा में उपद्रवियों ने पुलिस थाना, नगर निगम के वाहन और मीडिया से जुड़े लोगों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। एक अनुमान के अनुसार इस हिंसा में करीब दस करोड़ का नुकसान, सरकारी और निजी संपत्ति का हुआ था।
तभी से उत्तराखंड की धामी सरकार इस कानून को लाए जाने की बात कर रही थी, इस आशय का प्रस्ताव धामी कैबिनेट ने पास भी कर दिया था और मानसून सत्र में इस विधेयक को कानूनी रूप दिए जाने का फैसला हुआ। इस अधिनियम के तहत, हड़ताल, दंगा, बलवा या सामूहिक भीड़ द्वारा केंद्र अथवा राज्य सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से उक्त नुकसान की भरपाई की जाएगी, इस के साथ साथ सरकार ने इस अधिनियम में निजी लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से भी वसूली का प्रावधान रखा गया है।
इस अधिनियम में धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थलों, धर्मशाला, वक्फ बोर्ड की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को भी नुकसान की भरपाई करनी होगी। इस कानून को त्वरित रूप से लागू किए जाने की बात भी सदन में दर्ज की गई है। रुद्रपुर के विधायक शिव अरोरा कहते है कि राज्य के हित में जनता के हित में ये कानून बनाया जाना जरूरी था, क्योंकि भीड़ द्वारा अकसर संपत्तियों को निशाना बनाया जाता है, अब इस पर रोक लग सकेगी।
गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय कहते हैं कि ये कानून इस लिए जरूरी है कि जब भी भीड़ एकत्र होती है और जब वो आक्रामक होती तो निरंकुश हो जाती है, अब हिंसा कर संपत्तियों को नुकसान करने वाले को दस बार सोचना पड़ेगा कि मैं तोड़फोड़ या आगजनी करूं की नहीं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में अराजकता, हिंसा पर रोक लगाने के लिए ये कानून कारगर साबित होगा। अब जो भी उपद्रवी, संपत्तियों को, चाहे वो सरकारी हो या निजी, नुकसान पहुंचाएगा, अब उसकी कीमत उसी उपद्रवी से वसूल की जाएगी। इसके लिए पुलिस प्रशासन की भी जिम्मेदारी तय होने जा रही है कि वो ऐसे मामलों के पर्याप्त साक्ष्य भी एकत्र करके रखे। बहरहाल इस विधेयक के पास होने के बाद सरकार इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा उसके बाद ये विधेयक एक कानूनी अधिनियम का रूप ले लेगा।