देहरादून: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का एक फैसला इस समय प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक से लेकर प्रशासनिक महकमे तक सीएम धामी के फैसले की चर्चा हो रही है। यह फैसला राजाजी रिजर्व के प्रमुख को लेकर लिया गया फैसला है। दरअसल, सीएम धामी ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी मुख्य वन संरक्षक राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का प्रभार सौंप दिया है। राहुल को करीब दो साल पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। हाई कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने उस समय अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और निर्माण की योजना पर संज्ञान लिया था। इसके बाद सरकार की ओर से यह कार्रवाई की गई थी। राहुल की फिर से नियुक्ति पर वन मंत्री और मुख्य सचिव की ओर से आपत्ति जताई गई थी।
यह है पूरा मामला
सीएम धामी ने मुख्य वन संरक्षक राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त करने के अपने फैसले की जानकारी 8 अगस्त को एक हस्तलिखित फाइल नोटिंग के माध्यम से दी थी। 9 अगस्त को वन विभाग के निगरानी, मूल्यांकन, आईटी और आधुनिकीकरण प्रभाग में गैर-क्षेत्रीय पद पर कार्यरत अधिकारी को आधिकारिक तौर पर नए पद का प्रभार दिया गया। उत्तराखंड की शिवालिक बाघ लैंडस्केप में कॉर्बेट और राजाजी जैसे दो टाइगर रिजर्व हैं। ऐसे में राहुल की राजाजी टाइगर रिजर्व के प्रमुख पद पर नियुक्ति पर चर्चा शुरू हो गई। इस मामले के गरमाने के बाद अब तक सीएम धामी का इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है। वहीं, आईएफएस राहुल खुद की पोस्टिंग पर किसी प्रकार की टिप्पणी न करने की बात कर रहे हैं।
राज्य वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कॉर्बेट में अवैध तरीकों से पेड़ों की कटाई और निर्माण के मामले में सीबीआई की एफआईआर में राहुल का नाम नहीं था। अधिकारी ने कहा कि उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ा, लेकिन अब दो साल से अधिक समय हो गया है।
फील्ड से हटाए गए थे राहुल
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से हटाए जाने के बाद से राहुल देहरादून में गैर-क्षेत्रीय पोस्टिंग पर रहे। उन्हें बाघ अभयारण्य का प्रभार वापस दिलाने का पहला कदम 18 जुलाई को उठाया गया। उस समय वन मंत्री ने मुख्यमंत्री की मंजूरी से राजाजी रिजर्व के तत्कालीन निदेशक सहित 12 आईएफओएस अधिकारियों की प्रस्तावित ट्रासफर लिस्ट को संशोधित किया। संशोधित सूची में एक अतिरिक्त नाम राहुल की नई नियुक्ति थी।
हालांकि, प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव और वन मंत्री के माध्यम से एक नोट भेजे जाने के बाद एक सप्ताह के भीतर फाइल फिर से जमा कर दी गई। इसमें राहुल के खिलाफ चल रही अनुशासनात्मक कार्यवाही, सीबीआई जांच और कॉर्बेट के अंदर पाखरो टाइगर सफारी के लिए अवैध कटाई एवं निर्माण कार्य के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में संबंधित मामले के मद्देनजर नियुक्ति पर पुनर्विचार की मांग की गई।
राहुल पर की गई ये सिफारिश
प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव और वन मंत्री की ओर से आईएफएस राहुल के साथ यथास्थिति बनाए रखने की बात कही गई। नोट में सिफारिश की गई कि राजाजी का अतिरिक्त प्रभार आसपास के क्षेत्रों में सेवारत एक योग्य अधिकारी को दिया जाए। 24 जुलाई को वन मंत्री ने संशोधित प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेज दिया। इसमें राजाजी का अतिरिक्त प्रभार वन संरक्षक (भागीरथी सर्कल) को दिया गया। इस प्रस्ताव पर सीएम धामी ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
सीएम धामी की ओर से एक हस्तलिखित नोट के साथ राहुल की नियुक्ति की पुष्टि की गई। इसमें लिखा गया कि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के पद पर सीसीएफ राहुल की नियुक्ति प्रस्तावित थी और इसे मंजूरी दे दी गई है। तदनुसार आदेश जारी करें। एक दिन के भीतर सरकार ने सार्वजनिक हित में नियुक्ति आदेश जारी कर दिया।
दिसंबर 2021 में आया था मामला
दिसंबर 2021 में राज्य सरकार के वन विभाग ने केंद्र से मंजूरी मिलने से पहले कॉर्बेट में एक टाइगर सफारी पर काम शुरू कर दिया था। राज्य सरकार ने कानूनी, प्रशासनिक या वित्तीय मंजूरी के बिना कम से कम 157 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य शुरू कर दिया। योजना स्वीकृत परियोजना लागत से छह गुना अधिक है। जनवरी 2022 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अप्रैल 2022 में राज्य सरकार ने दो वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया और राहुल को कॉर्बेट के निदेशक के पद से हटा दिया। राहुल को देहरादून में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के कार्यालय से अटैच कर दिया गया। 2023 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसी वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार पर कड़ी फटकार लगाई और आदेश दिया कि पारिस्थितिक क्षति की मरम्मत के तरीके सुझाने के लिए एक समिति गठित की जाए।
इससे एक महीने पहले फरवरी 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने कॉर्बेट के अंदर कथित अवैध गतिविधियों के सिलसिले में उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से संबंधित कई परिसरों की तलाशी ली थी। महीने की शुरुआत में सीबीआई ने हरक सिंह रावत से पूछताछ की और मामले में कथित रूप से शामिल वन अधिकारियों से पूछताछ के लिए राज्य की अनुमति भी मांगी।