देहरादून: सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जो परिचालक जेल में बंद है, अधिकारियों ने उसे ही लिपिक बनाने की ‘सिफारिश’ कर डाली। अब इसे उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारियों की नादानी कहें या लापरवाही यह जांच का विषय बन गया है। मामला ग्रामीण डिपो का है, जहां सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) ने डिपो में लिपिकीय कार्य के लिए 15 नियमित परिचालकों के नाम की एक सूची जारी की। इनमें एक नाम आरोपित परिचालक राजेश सोनकर का भी शामिल है।
बस में किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार
यह वही सोनकर है, जो अगस्त में आइएसबीटी परिसर में अनुबंधित बस में किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जब वरिष्ठ अधिकारियों को उसका नाम लिपिकीय कार्य की सूची में होने का पता चला तो वह हैरान रह गए। प्रकरण में मंडल प्रबंधक ने विभागीय जांच बैठा दी है।
वैसे तो परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डा. आनंद श्रीवास्तव के सख्त आदेश हैं कि किसी भी परिचालक से तब तक लिपिकीय कार्य न लिया जाए, जब तक उसकी प्रोन्नति नहीं हो जाती। परिवहन निगम में परिचालकों की वैसे भी कमी है। ऐसे में सभी परिचालकों से बसों पर ड्यूटी कराने के आदेश हैं।
‘चहेते’ परिचालक
प्रबंध निदेशक के आदेश के बावजूद कुछ डिपो अधिकारी एक पुराने आदेश की आड़ लेकर ‘चहेते’ परिचालकों को लिपिकीय कार्य में लगा लेते हैं। यह आदेश 31 जनवरी-2020 को तत्कालीन प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह ने दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि अति आवश्यक होने पर वरिष्ठता सूची के आधार पर नियमित परिचालक से लिपिकीय कार्य लिया जा सकता है। लेकिन इसमें शर्त रखी गई थी कि डिपो अधिकारी को संबंधित मंडल प्रबंधक (संचालन) कार्यालय के माध्यम से इसका आग्रह पत्र निगम मुख्यालय को भेजना होगा और उसी आधार पर परिचालक से लिपिकीय कार्य लिया जा सकेगा।
इसी पत्र के आधार पर ग्रामीण डिपो के एजीएम केपी सिंह ने गुरुवार को एक आदेश किया, जिसमें डिपो में कैश और ई-टिकट पटल पर कार्य की अधिकता को देखते हुए नियमित परिचालकों से लिपिकीय कार्य लेने का जिक्र है। इसके लिए 15 परिचालकों की सूची जारी की। हैरानी की बात यह है कि इस सूची में आठवें नंबर पर राजेश सोनकर का नाम भी दर्ज है, जो वर्तमान में जिला कारागार सुद्धोवाला में बंद है और निलंबित चल रहा है।
नियमित परिचालकों को वरिष्ठता के आधार पर लिपिकीय कार्य लेने का प्रविधान है, लेकिन जो परिचालक जेल में बंद है और निलंबित चल रहा है, उसका नाम सूची में नहीं होना चाहिए था। हालांकि, जो सूची एजीएम की ओर से बनाई गई है, उसमें वरिष्ठता क्रम के आधार पर परिचालकों के नाम दर्ज हैं। चूंकि अभी नियमित परिचालक राजेश सोनकर बर्खास्त नहीं हुआ है। ऐसे में संभवत: वरिष्ठता के आधार पर उसका नाम सूची में दर्ज हो गया। मामले में किस स्तर पर लापरवाही हुई है, इसकी जांच कराई जाएगी।
-पूजा केहरा, मंडल प्रबंधक देहरादून