फिर चर्चाओं में चर्चित NH74 घोटाला, PMLA कोर्ट ने कईयों को भेजे समन, जानिये इस मामले में अबतक का अपडेट

खबर उत्तराखंड

देहरादून: 2017 में सामने आए NH 74 घोटाले में स्पेशल कोर्ट (मनी लांड्रिंग) ने 2022 के एक आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में साल 2022 में चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी इस मामले में 7 आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. वहीं, कोर्ट ने अब सातवें आरोप पत्र का भी संज्ञान लिया है. साथ ही सात लोगों को समन भेजा है. इसमें पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह, तत्कालीन एसडीएम काशीपुर दिनेश भगत, पूर्व तहसीलदार मदन मोहन समेत कुछ निजी कंपनी के लोग शामिल हैं. इस मामले की सुनवाई दो दिसंबर को तय की गई है.

NH-74 का यह मामला साल 2017 का है. उस दौरान राज्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे और इस मामले में कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था. इसमें आरोप था कि राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण में मुआवजा राशि आवंटन के दौरान गड़बड़ी की गई. सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपी थी. 2017 में कुमाऊं कमिश्नर की जांच पर पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह को आरोप पत्र दिया गया था. इसके अलावा पुलिस की एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर भी डीपी सिंह को शासन ने आरोप पत्र दिया था, जिसका पीसीएस अधिकारी ने प्रति उत्तर देकर आरोपों को गलत बताया था.

इस मामले में शासन ने जांच अधिकारी से इस पूरे मामले की जांच कराते हुए प्रति उत्तर के आधार पर आरोपों का परीक्षण करवाया था. शासन स्तर पर की गई जांच में भी पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह पर लगे आरोप गलत साबित हुए थे और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह को क्लीन चिट दे दी थी. शासन में ACS कार्मिक आनंद वर्धन पहले ही इसकी पुष्टि कर चुके हैं.

वहीं, प्रकरण के चर्चाओं में आने के बाद ED ने भी इसमें अपनी जांच को शुरू किया और एक के बाद एक 7 मामले दर्ज किए थे. मुकदमा दर्ज होने के बाद से स्पेशल कोर्ट आरोप पत्रों का संज्ञान ले रही है. ताजा मामले में 2022 के सातवें आरोप पत्र का संज्ञान लिया गया है.

वहीं, पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के अधिवक्ता विकसित अरोड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि 5 मामलों में ईडी डीपी सिंह पर मनी ट्रेल के आरोप साबित नहीं कर पाई है. मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 45 के तहत डीपी सिंह के खिलाफ मनी ट्रेल कोर्ट में साबित नहीं हुआ, ऐसे में पांच मामलों में उनके खिलाफ आरोप तय नहीं हो पाए. इसके अलावा POC (प्रोसीड ऑफ क्राइम) का मामला नहीं बना और धारा 50 के तहत बयानों में भी ये बात साबित नहीं हो पाई.

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