देहरादून: केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए आज मतदान जारी है इस उपचुनाव में कुल 6 उम्मीदवार जिसमे भाजपा से आशा नौटियाल, कांग्रेस से मनोज रावत, उक्रांद से डॉ आशुतोष भंडारी के अलावा निर्दलीय त्रिभुवन चौहान, आरपी सिंह और प्रदीप रोहन रुढ़िया अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिसमे सीधा मुकाबला बीजेपी कांग्रेस के बीच है। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी धीरज कुमार के मुताबिक केदारनाथ उप चुनाव में कुल 90875 मतदाता हैं और मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। वैसे तो प्रचार के दौरान से ही बीजेपी कांग्रेस दोनो ही पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं लेकिन जनता अपना मत किस पार्टी को ज्यादा देती है ये 23 नवंबर को क्लियर हो जाएगा जब इस उपचुनाव के परिणाम सामने आएंगे फिलहाल सुबह से ही मतदान जारी है और ये सीट कांग्रेस बीजेपी दोनो ही के लिये स्पेशल बनी हुई है जिस पर दोनों ही पार्टियों ने जीत का दावा किया है।
सीएम को भी पूरी ताकत झोंकनी पड़ी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी उपचुनाव का रुख भाजपा के पक्ष में कराने को ताकत झोंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आपदा के प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज से लेकर विस क्षेत्र के विकास से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति तक के निर्णय फटाफट लिए। चुनाव की घोषणा से पहले ही केदारनाथ की जनता के बीच बार-बार पहुंचे और प्रचार के आखिरी दिन भी उन्होंने डेरा जमाया।
भाजपा के लिए विचारधारा और प्रतिष्ठा का सवाल
उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं है। इस सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा नहीं विचारधारा भी दांव पर है। बदरीनाथ में हार के बाद उसे वैचारिक मोर्चे पर रक्षात्मक होना पड़ा था। पार्टी ऐसी असहज स्थिति दोबारा नहीं बनने देना चाहती, इसलिए पार्टी ने उपचुनाव का विधिवत एलान से तकरीबन तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों के मैदान में उतार दिया था। युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा और प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी संग विधायक भरत चौधरी का वहां प्रचार थमने तक अधिकतम समय गुजरा है।
ऐश्वर्य और कुलदीप रावत के करियर की भी असली परीक्षा
दिवंगत विधायक शैलारानी को जिन क्षेत्रों से अच्छा वोट मिलता आ रहा, वहां से भाजपा को ऐश्वर्या के मार्फत ज्यादा वोट की उम्मीदें हैं। बहरहाल, केदारनाथ उप चुनाव न केवल भाजपा-कांग्रेस के लिए, बल्कि यहां से राजनीतिक भविष्य संवारने की ठान रहे ऐश्वर्य और कुलदीप रावत के करियर की भी असली परीक्षा है। इसमें भी दो राय नहीं कि केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम से ही इन दो नेताओं की भविष्य की भूमिका भी तय होगी, इसकी चर्चाएं होने लगी हैं।