चमोली : चमोली माणा एवलॉन्च घटना का आज तीसरा दिन है. अभी तक हिमस्खलन में दबे 54 मजदूरों में से 53 को रेस्क्यू कर लिया गया है. 53 मजदूरों में से 7 मजदूरों की मौत हो गई है. बाकी अभी भी एक मजदूर के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जिनकी खोजबीन में आर्मी, आईटीबीपी,एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं. 46 मजदूरों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है, जिसमें से एक मजदूर की गंभीर हालत को देखते हुए उसे एम्स ऋषिकेश भेजा गया है. इसी बीच जोशीमठ आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों ने हादसे की दर्दनाक आपबीती बताई.
उत्तरकाशी निवासी मजदूर ने कहा कि वो मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने रेस्क्यू के लिए तत्परता दिखाई. साथ ही मजदूर ने भारतीय सेना, आईटीबीपी, पुलिस, एसडीआरएफ व चमोली प्रशासन को उनके सफल रेस्क्यू के लिए धन्यवाद किया. |
उत्तर प्रदेश निवासी मजदूर विजयपाल ने बताया कि सुबह साढ़े 8 बजे के करीब पहला ग्लेशियर आया, उसके बाद हमें आभास हुआ कि फिर से ग्लेशियर आ सकता है, लेकिन जब दूसरा ग्लेशियर आया तो, हमें पता नहीं लग पाया और हम सभी ग्लेशियर में फंस गए. |
वहीं, पिथौरागढ़ बेरीनाग के रहने वाले मजदूर ने बताया कि ग्लेशियर टूटने का पता नहीं लग पाया है. जिसके कारण यह घटना घटी. उन्होंने बताया कि जब हम लोग सोए हुए थे, तब यह घटना घटी. ग्लेशियर की चपेट में आने से हमारा कंटेनर 50 से 60 मीटर नीचे गिर गया था. |
28 फरवरी की सुबह 4 बजे सीमा सड़क संगठन (BRO) के ठेकेदार के तहत काम कर रहे 54 मजदूर मलबे में दब गए थे. जिसमें से अभी तक 53 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. 53 मजदूरों में से 7 मजदूरों की मौत हो गई है. रेस्क्यू अभियान के दूसरे दिन रेस्क्यू किए गए 50 में से 27 मजदूरों को जोशीमठ पहुंचाया गया था.
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि रेस्क्यू अभियान में सेना के 7 और 1 निजी हैली की मदद से घायलों को ज्योतिर्मठ लाया गया है. देर रात डॉक्टरों ने चार मजदूरों को मृत्यु की पुष्टि की है. जिनमें हिमाचल के जितेंद्र सिंह व मोहिन्द्र पाल, उत्तर प्रदेश के मंजीत यादव, और उत्तराखंड के अलोक यादव शामिल हैं. उन्होंने बताया कि घटना में मरने वालों का आंकड़ा 7 पहुंच गया है. आज 3 मजदूरों के शव बरामद किए गए हैं. अभी तक 54 में से 53 मजदूरों का रेस्क्यू किया गया है और अभी भी एक मिसिंग है.