न्यूज़ डेस्क: चरमराती अर्थव्यवस्था के बोझ तले दबी पाकिस्तानी सरकार अपने लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में नाकाम रही है। अब पाकिस्तान के लोग एलपीजी (खाना पकाने की गैस) की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तानी रसोई गैस सिलेंडरों के स्टॉक में गिरावट के कारण एलपीजी को स्टोर करने के लिए प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में लोगों को 2007 से गैस कनेक्शन नहीं दिया गया है, जबकि हंगू शहर पिछले दो सालों से गैस कनेक्शन से वंचित है क्योंकि गैस ले जाने वाली पाइपलाइन टूटने के बाद से ठीक नहीं हुई है।
#Pakistan With no natural gas supply to homes, residents of Karak, carry gas for their household needs in plastic bags. They are literally moving bombs. Karak has huge estimated reserves of oil and gas, while to the #Karak people legal gas connections are not provided since 2007. pic.twitter.com/FMphcH6nUa
— Ghulam Abbas Shah (@ghulamabbasshah) December 29, 2022
प्लास्टिक की थैलियों में कैसे स्टोर करते हैं गैस
एक कंप्रेसर की मदद से गैस विक्रेता प्लास्टिक बैग को नोजल और वाल्व के साथ कसकर बंद कर देते हैं फिर प्लास्टिक बैग में एलपीजी भरते हैं। प्लास्टिक बैग में तीन से चार किलो गैस भरने में करीब एक घंटे का समय लगता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये विडंबना है कि 2020 में क़ैबर पख्तूनख्वा के क्षेत्र से लगभग 85 बैरल तेल और 64,967 मिलियन क्यूबिक फीट गैस निकाली गई थी। इसके बावजूद लोग प्लास्टिक की थैलियों में 500 से 900 रुपये में गैस खरीदने को मजबूर हैं, क्योंकि कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत करीब 10,000 पाकिस्तानी रुपये है।
एक्सपर्ट बोले- किसी भी दिन हो सकता है बड़ा हादसा
पाकिस्तान के पत्रकार गुलाम अब्बास शाह ने प्लॉस्टिक की थैलियों में रसोई गैस ले जा रहे लोगों से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है। साथ ही, उन्होंने लिखा है कि जो लोग प्लास्टिक की थैलियों में गैस भर कर ले जाते हैं, वे किसी चलते फिरते बम से कम नहीं है। डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के बर्न केयर सेंटर में रोजाना इन थैलियों के इस्तेमाल के दौरान हुए ब्लास्ट में घायल 8 मरीज पहुंचते हैं। सेंटर की मेडिकल अफसर डॉ. कुरतुलैन के मुताबिक अगर इसी तरह धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग में भरकर गैस का इस्तेमाल होता रहा तो यह आंकड़ा किसी दिन बहुत बड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा, “ज्यादातर महिलाएं खाना पकाने के स्टोव के विस्फोट से घायल हो जाती हैं, जबकि इनडोर गैस रिसाव विस्फोटों से भी लोग झुलस जाते हैं।”