नई दिल्ली: कई ऐसे विज्ञापन होते हैं जो दावे तो बड़े करते हैं, लेकिन जब ग्राहक उन्हें अपने घर लेकर आता है तो वो कुछ और ही निकलते हैं. यानी कि किसी प्रोडक्ट को लेकर बोला कुछ, दावे कुछ लेकिन दिया कुछ और ही गया. अब ऐसे गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर केंद्र सरकार सख्त हो गई है. सरकार की तरफ से एक गाइडलाइन जारी कर दी गई है. लोकसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इस बात की जानकारी दी है.
विज्ञापन बनाने वालों के लिए गाइडबुक
गुमराह करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ Consumer Protection Act, 2019 पहले से लागू है. इस एक्ट का सेक्शन 18 इस बारे में विस्तार से बात करता है. अब सरकार ने इसी एक्ट के तहत कुछ और गाइडलाइन जारी कर दी हैं जिससे एक तरफ ग्राहक और ज्यादा सशक्त होंगे और गलत विज्ञापन दिखाने वालों पर कानून का शिकंजा कसेगा. गाइडलाइन के मुताबिक जो भी शख्स या संस्थान किसी प्रोडक्ट को अगर प्रमोट कर रहा होगा तो उसके विचारों से वहीं संदेश जाना चाहिए जो असल में उस विज्ञापन के जरिए दिखाने की कोशिश होगी. सरल शब्दों में जिस बारे में विज्ञापन हो, सिर्फ उतना ही उसके बारे में बताया जाए, अपनी तरफ से बढ़ा-चढ़ाकर लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता.
पहले भी हो चुका बड़ा एक्शन
अब अगर कोई गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखा रहा है, तो इस कानून के तहत उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. वहीं अगर बार-बार वही गलती दोहराई जा रही है, उस स्थिति में जुर्माने की राशि 50 लाख तक जा सकती है. Consumer Protection Act का सेक्शन 21(2) तमाम तरह की सजा के बारे में विस्तार से बताता है. वैसे इससे पहले कंज्यूमर प्रोटेक्शन रेगुलेटर CCPA ने GlaxoSmithKline (GSK) Consumer Healthcare Ltd को भारत में Sensodyne Products का विज्ञापन रोकने के निर्देश दिए थे. तर्क दिया गया था कि इस ऐड को दूसरे देशों के डेंटिस्ट एंडोर्स करते हैं. CCPA ने भ्रामक विज्ञापन और ब्रॉडकास्ट और ऑनलाइन मोड के जरिए प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए अनुचित व्यापार तरीकों का इस्तेमाल करने को लेकर Naaptol Online Shopping Limited के खिलाफ भी आदेश पारित किया था.