मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में विपक्ष:  कौन है वो मंत्री जो बन रहा है गौतम अडानी का मददगार ? कांग्रेस ने किया सवाल

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नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को जबरदस्त झटका लगा। उतार- चढ़ाव के बीच गौतम अडानी ने एफपीओ वापस लेने का जब ऐलान किया तो साफ कर दिया कि निवेशकों का हित उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और उसके साथ किसी तरह का समझौता नहीं है, हालांकि इस पूरे मामले की कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने जेपीसी जांच की मांग संसद में की। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया कि किसी व्यक्तिगत शख्स के खिलाफ जेपीसी जांच कराने का प्रावधान नहीं है। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता ने पूछा कि आखिर वो कौन केंद्रीय मंत्री जिन्होंने गौतम अडानी को बचाने के लिए पांच से छह बिजनेसमैन को गौतम अडानी समूह में निवेश करने का अनुरोध किया था।

कांग्रेस ने किए तीखे सवाल

कांग्रेस ने सवाल किया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर गोते लगा रहे थे तो क्या उस वक्त उन्हें बचाने के लिए एलआईसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को उनके फर्म में निवेश के आदेश दिए गए थे। जयराम रमेश ने कहा कि अडानी के शेयर के मार्केट प्राइस में इशू प्राइस की तुलना में गिरावट के बाद भी एलआईसी, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनीस एसबीआई एंप्लाई पेंशन फंड ने निवेश किया। उन्होंने पूछा कि क्या एलआईसी और एसबीआई को करोड़ों भारतीय निवेशकों के हितों की कीमत पर अडानी समूह को बचाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि देश में इस हम अडानी के कौन हैं सिरीज चल रही है।

मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में विपक्ष

कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा कि क्या अडानी एफपीओ को उबारने के लिए दबाव डालने वाले पारिवारिक कार्यालयों ने आश्वासन दिया कि यह केवल गौतम अडानी की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए है और एफपीओ को बाद में रद्द कर दिया जाएगा और निवेशकों को पैसा वापस कर दिया जाएगा। क्या इस प्रासंगिक जानकारी को अधिकांश निवेशकों से छिपाना और केवल कुछ चुनिंदा लोगों के साथ साझा करना भारतीय प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन नहीं है? क्या एफपीओ निवेशकों को इस तरह से धोखा देना नैतिक है? अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोपों पर विपक्षी दल सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, प्रधान मंत्री मोदी के साथ संकटग्रस्त अरबपति की व्यापक रूप से कथित निकटता को देखते हुए। कांग्रेस ने अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है।

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