भागलपुर: अमर कुमार नौजवान था। शिक्षा विभाग में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का बेटा था। पढ़ाई कर रहा था। लेकिन, कुछ पारिवारिक वजहों से परेशान रहता था। अफीम का आदी हो गया था। 19 फरवरी को अचानक अमर की लाश नाले में मिली। सिर में गोली लगी थी और घर वाले भी मर्डर बताकर रो रहे थे। लेकिन, भागलपुर की यह कहानी कुछ और निकली। कहानी चौंकाने वाली इसलिए है कि अमर ने घर में सुसाइड किया था और मां-बाप ने रिश्तेदारों की मदद से उसकी लाश आधी रात के बाद नाले में डाल दी ताकि मर्डर दिखे। लाश को नाले तक नहीं पहुंचाकर खुद पुलिस को बताते तो शायद बच भी जाते, लेकिन साक्ष्य प्रभावित करने, लाश को ठिकाने लगाने और पुलिस को बरगलाने के आरोप में मां-बाप समेत परिवार के चार लोग हिरासत में हैं।
मर्डर की बात कहते रहे परिवार वाले
भागलपुर SSP आनंद कुमार ने गुरुवार को इस केस के लिए विशेष रूप से गठित जांच टीम के गुडवर्क को मीडिया के सामने रखा। उन्होंने बताया कि 19 फरवरी को मधुसूदनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत शिक्षा विभाग के चतुर्थवर्गीय कर्मी के पुत्र की लाश उस सुबह गांव में ही अम्बेदकर चौक से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक नाले से बरामद की गई थी। परिजनों ने शिनाख्त की। मृतक युवक शिक्षा विभाग के चतुर्थवर्गीय कर्मी शंभू प्रसाद यादव का पुत्र अमर कुमार था। नाले में लाश मिली और सिर पर गोली लगी हुई थी। गांव वाले हत्या की अंदाजन बात कह रहे थे, लेकिन परिवार वाले मर्डर की बात कह रो रहे थे। पुलिस ने फॉरेंसिक साइंस टीम की मदद से जांच शुरू की तो पूरी कहानी बदल गई।
खून को साफ किया, लाश नाले में डाली
जांच के दौरान सामने आया कि अमर की हत्या नहीं हुई थी। उसने पास रखे 7 mm की पिस्टल से खुद को गोली मार ली थी। मां-बाप ने उसे घर के कमरे में बंद रखा था, उसी दौरान उसने खुद को गोली मारी। मृतक के पिता शंभू प्रसाद यादव, मां मीरा देवी, मौसेरा भाई सौरव सुमन और सचिन कुमार को पुलिस ने झूठी कहानी रची। इन लोगों ने अमर की लाश को आधी रात के बाद नाले में फेंका। गोली मार सुसाइड के कारण बहे खून को साफ किया। लेकिन, सुराग छूट गया था। पुलिस को घटनास्थल पर साक्ष्य मिले, तब इन लोगों ने पूरी कहानी बताई।