देहरादून : नई शराब नीति के तहत प्रदेश सरकार ने कई बदलाव किए हैं. पूर्व में शराब की दुकानों के आवंटन के लिए टेंडर प्रक्रिया निकाली जाती थी. इस बार नई शराब नीति के तहत अब पुराने दुकानदार को ही शराब की दुकानें आवंटन करने की प्राथमिकता रखी गई है. जिससे सरकार की आमदनी अधिक हो और ठेकेदारों पर बोझ भी नहीं पड़े. इसके तहत प्रदेश में नए शराब ठेकों के लिए इस बार टेंडर नहीं किए जाएंगे.
सरकार की कोशिश है कि जिन ठेकेदारों के पास शराब की दुकानों के ठेके हैं, उन्हें ही 10 से 15 फीसदी वृद्धि पर दुकान को सौंप दिया जाए. संयुक्त आबकारी आयुक्त कुमाऊं मंडल केके कांडपाल ने बताया कि जिन ठेकेदारों को शराब की दुकानें आवंटित की गई हैं, प्राथमिकता के आधार पर पुराने ठेकेदार अंग्रेजी की शराब पर 10% जबकि देसी शराब पर 15% के अतिरिक्त अधिभार पर अपनी दुकानों का नवीनीकरण करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पुराने ठेकेदार अगर दुकान नहीं लेते हैं तो उन दुकानों की नीलामी की कार्रवाई की जाएगी. जो भी पुराने ठेकेदार अपनी दुकानों को नवीनीकरण करवाना चाहता है, वह 31 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं. संयुक्त आबकारी आयुक्त केके कांडपाल ने बताया कि कुमाऊं मंडल में 170 शराब की दुकानें संचालित की जाती हैं.
जहां कुमाऊं मंडल के लिए पिछले साल 780 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया था, जो इस साल बढ़कर 860 करोड़ किया गया है. इस साल नैनीताल जनपद के लिए 308 करोड़ रुपए राजस्व का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए हो सकता कि दुकानें बढ़ाई और घटाई जा सकती हैं. उन्होंने बताया कि नई नीति आने से सरकार को शराब से राजस्व में इजाफा होगा. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में शराब के दाम कम होने के चलते उत्तराखंड की सीमा से लगे क्षेत्र के लोग यूपी से शराब लेकर आते थे. लेकिन अब शराब के दामों में कटौती की गई है, जिससे सरकार के राजस्व के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की तस्करी को रोका जा सके.