वाराणसी: बारिश और ओलावृष्टि के बाद शहर में कंजेक्टिवाइटिस (आई फ्लू) का संक्रमण तेजी से बढ़ा है।रोजाना ओपीडी में मरीज आ रहे हैं। इससे डॉक्टर चिंतित हैं। बीएचयू में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.राजेंद्र प्रकाश मौर्य का कहना है कि ऐसी समस्या 27 वर्ष पहले हुई थी। तब प्रकोप सा लग रहा था। जिस व्यक्ति में यह समस्या होती है, वह तीन लोगों को संक्रमित कर सकता है। सतर्कता व बचाव ही संक्रमण से बचाएगा। लापरवाही हुई तो संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
ओपीडी में बढ़े मरीज
मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा: नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 100 मरीज आ रहे हैं। इनमें से दस आंखों में संक्रमण से परेशान हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएस त्रिपाठी ने बताया कि मौसम में बदलाव से दिक्कत बढ़ी है। आंखों में दर्द, खुजली, लालीपन व कीच आने की समस्या है। आंखों को रगड़ने से बचना चाहिए। आंखें को बार-बार पानी से धुलते रहें। काला चश्मा लगाकर ही बाहर निकलना है। इससे संक्रमण तेजी से नहीं बढ़ेगा।
रोजाना आ रहे मरीज
बीएचयू अस्पताल: नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 250 मरीज आ रहे हैं। इनमें से करीब 20 आई फ्लू यानी कंजेक्टिवाइटिस से परेशान रहते हैं। अध्यक्ष प्रो. प्रशांत भूषण ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से मरीज ज्यादा आ रहे हैं। सामान्य तौर पर यह समस्या बरसात में होती है। कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन अगर सावधानी नहीं बरती गई तो आगे चलकर समस्या बढ़ जाती है। आंखों में संक्रमण से प्रभावित लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। अंगुली से बार-बार आंखों को नहीं छूना चाहिए। सात से दस दिन में आई फ्लू ठीक होता है।
छात्रावास में रहने वाले 60 से ज्यादा छात्र पीड़ित
बीएचयू के राजाराम व एक अन्य छात्रावास में ही 60 से ज्यादा छात्र आई फ्लू की चपेट में हैं। छात्रों की आंखों में लालीपन, खुजली व दर्द की समस्या ज्यादा है। हेल्थ डायरी के साथ सोमवार को कई छात्र नेत्र रोग विभाग की ओपीडी पहुंचे। डॉक्टरों ने आंखों का परीक्षण किया, फिर जरूरी दवाइयां लिखीं। साथ ही सावधानी बरतने की सलाह दी। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रशांत भूषण की अगुवाई में एक टीम लगातार छात्रों की निगरानी कर रही है। जागरूकता के लिहाज से छात्रावास के बाहर पोस्टर चस्पा किए गए हैं।
आई फ्लू के लक्षण
– पलकों का आपस में चिपक जाना
– आंखों में जलन, चुभन जैसा महसूस होना
– आंखों में खुजली
– कीच आना।
ये बरतें सावधानी
– चश्मा लगाकर ही घर से निकलें।
– दूसरों के रूमाल व चश्में का प्रयोग न करें।
– संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रहें।
– नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह के बिना कोई दवा न डालें
– आंखों को साफ पानी से धुलते रहें
– हाथों को साफ रखें।
By अमर उजाला via Dailyhunt